रविवार, 24 दिसंबर 2023

बानर

गौ घरों मे आजकल भौतें बानर आरि!

निब्मू  माल्टा बौटों के हिलें जारि!

घरोंक द्वार खुली रे गया रव्टा के स्टकै लिल्हें जारि!

माल खेतम बै हूलर बेर तलि खेतम लूकी जारि!

गुणि बानर हकूनें हाट भाट स्वैरि जारि!

यई बहानैल हमार बाट घ्वैटों क धूंग लै चाणि जारि!

सव्क बौटक टुकम बै हमूकैं चै रारि!

क्वैं नि देखो ख्व पन चट्ट ऐ जारि!

हमर TV क डिसो के ले हिले जारि!

एक काम आजि बढें जारि!

एकलू बानर घर मे ऐ बैर कुकुर कै  थपणैं जारो!

भौटी कुकुर पूछण दबै बैर भिते र लूकी जारो!

एकलू घर मा बूढ़ बाडियों क नौराट
धूरि पन बानरों क खुखाट हैरो!

गुणि बानर दैख बैर एक हिन्दी गीत याद ऐ जारो!


(*दिल का रिश्ता बडा़ ही प्यारा है*)
बानरों का उजाण भौतें ही ज्यादा है!
भौटी कुकूर शेरु ले हमारा है!

हम तो एक दूसरे से डरतें है!

मैरी पालकों हासणूं को चुनकर!
खैत बाज य कराया है!

सव्क टूकम जै बैर जो हमूकें नाच नचाया है!
तुमूकें देखि बैर हमर शेरु ले सरमाया है!

जथा चानूं उथां तुमि तुम छा!
और नजारों मे क्या नजारा है..!@देव सती पहाडी़ बटोही

रविवार, 1 अक्टूबर 2023

आवों मां आपका स्वागत है

🐅🚩🐅👁❗👁🐅🚩🐅

तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
रसोई में प्रसाद बनकर 
व्यापार में लाभ बनकर 
घर में आशिर्वाद बनकर 
मुँह मांगी मुराद बनकर 
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर 
अमृत रस का प्याला बनकर 
पारिजात की माला बनकर 
भूखों का निवाला बनकर 
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर 
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर 
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर 
कालरात्रि, महागौरी बनकर 
माता सिद्धिदात्री बनकर 
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां 
स्वयं ही चली आएंगी 
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
🚩🐅🚩🐅🚩🐅🚩
सभी भक्तों पर माँ की कृपा खूब बरसे 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏जय मा झूलादेवी

शुक्रवार, 29 सितंबर 2023

क्या नही हुआ बहुत कुछ हुआ

****बहुत कुछ*****
--------------------------
आँमाँ की पैदाइश 
उन्नीस सौ तितालीस की है !
यानि आजादीसे 
पांच साल बड़ी !
आँमाँ इलाज कराने 
हल्द्वानी आई ।
परचा बनाया नंबर लगाया 
लोग आते रहे जाते रहे 
कोई सीधे अंदर जाते 
किसी को डाँक्टर बुलाते 
किसी ने वार्ड बाय से 
गोटी भीड़ाई ।
किसी ने जुगाड़े से 
अपनी पर्ची आगे बढ़ाई ।
देखा तो आँमा् ने भी 
पर कौन जाने आँमा् के मन की 
नाती को भी हिम्मत नहीं आई 
औबजैक्शन की ।
आँमाँ ओ इजा !ओ बबो! करती रही 
लोग आते रहे जाते रहे 
आँमाँ की परची आँखिरी  रही ।
डाँक्टर ने पूछा अम्मा क्या परेशानी है /
अम्मा बोली सुबह से पर्चा लगा है 
नंबर आखिर में आया 
ये क्या कहानी है ?
डाँक्टर ने कहा आँखें खोलो 
आ करो जीभ दिखाओ 
न टैस्ट न वैस्ट !
डाँक्टर ने सीधे लिख दी दवा 
जीप वाला वहीं खड़ा था 
आँमाँ दवा लेकर
 पहाड़ को हो गई हवा ॥
आँमाँ ठीक हो जाय बस 
सब भगवान की दुवा है 
क्यों नहीं हुवा है 
चौहत्तर साल में बहुत कुछ हुवा है ॥
💐💐शंकर जोशी 💐💐

गुरुवार, 21 सितंबर 2023

हरी नाम नही तो जीना क्या

*🕉️ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः🙏*
🔔हरी नाम नहीं तो जीना क्या, हरी नाम नहीं तो जीना क्या..
अमृत है हरी नाम जगत में, अमृत है हरी नाम जगत में, इसे छोड़ विषय रस पीना क्या..हरी नाम नहीं तो जीना क्या.....
🌳काल सदा अपने रस डोले, ना जाने कब सर चढ़ बोले।
हरी का नाम जपो निसवासर, इसमें बरस महीना क्या॥
हरी नाम नहीं तो जीना क्या.....
🏆भूषन से सब अंग सजावे,रसना पर हरी नाम ना लावे।
देह पड़ी रह जावे यही पर,फिर कुंडल और नगीना क्या॥
हरी नाम नहीं तो जीना क्या.....
💚तीरथ है हरी नाम तुम्हारा,फिर क्यूँ फिरता मारा मारा।
अंत समय हरी नाम ना आवे,फिर काशी और मदीना क्या॥
हरी नाम नहीं तो जीना क्या हरी नाम नहीं तो जीना क्या.....

अच्छी थी पगडंडी

*अच्छी थी पगडंडी अपनी।*
*सड़कों पर तो जाम बहुत है।।*

*फुर्र हो गई फुर्सत अब तो।*
*सबके पास काम बहुत है।।*

*नहीं जरूरत बूढ़ों की अब।*
*हर बच्चा बुद्धिमान बहुत है।।*
  
*उजड़ गए सब बाग बगीचे।*
*दो गमलों में शान बहुत है।।*

*मट्ठा, दही नहीं खाते हैं।*
*कहते हैं ज़ुकाम बहुत है।।*

*पीते हैं जब चाय तब कहीं।*
*कहते हैं आराम बहुत है।।*

*बंद हो गई चिट्ठी, पत्री।*
*फोनों पर पैगाम बहुत है।।*

*आदी हैं ए.सी. के इतने।*
*कहते बाहर घाम बहुत है।।*

*झुके-झुके स्कूली बच्चे।*
*बस्तों में सामान बहुत है।।*

*सुविधाओं का ढेर लगा है।*
*पर इंसान परेशान बहुत है।।*

मंगलवार, 5 सितंबर 2023

शिक्षक दिवस कविता श्रीमान शंकर दत्त जोशी जी

"अ आ क ख वाले मास्साब "
********************
याद करता हूँ अक्सर 
अपने पहले मास्साब को !
माँ छोड़ गई जब 
बहला-फुसला कर 
और भाग गई  घर ।
रोए ,बहुत रोए 
कई दिनों तक रोते रहे ।
वो डराता ,मजाक करता 
मेरी नाक साफ करता !
पर मैं उससे दूर रहता ।
जाने कितनी बार 
जड़ दी उस पर
कोमल हाथों की थप्पड़ !
कितनी बार अड़ा 
कितनी बार लड़ा ।
जितनी गालियाँ थी 
सब उस पर उडेल दी ।
पर सब खाली !
रंग लाई उसकी मेहनत 
उसकी रखवाली ।
मैं खिलकर फूल बन गया 
और वो बना रहा माली ।
उसकी मेहनत के दम पर 
मेरे जीवन में उजियारा है 
वो अ आ क ख वाला शिक्षक 
आज मुझे सबसे प्यारा है।
💐💐शंकर जोशी 💐💐
शिक्षक दिवस की बधाई ॥

गुरुवार, 17 अगस्त 2023

श्री हिरा सिंह अधिकारी जी की रचना

घय्यौं सकरांत 

पैकैटूँ में दूध  डबां  में घय्यौं  छु 
बोतल में पाणि फ्रिज में ह्य्यौं छु 

ठंडी हाऊ ऐसीक  पौन पंखक छु 
क्वाटर  भितेर पहाड़क ठंडक  छु 

पाख नहैं याँ क्वै न हमर पाल छु 
यौ हमर कुकड़ी क्वठांक हाल छु 

दीवाल पार ग्वेल ज्यूक फ़ोटो एक टांगी छु 
कैलंडर दौहर शराबक  दुकानम बै मांगी छु 

कैलंडर न महण,न पैठ,न सकरांत बताणी छु 
बोतल जॉस हीरोइन गं हिसते हुए दिखाणी छु 
रम  दा  घर  बै पैठ-अपैठ  बताणी छु 
सुणाई में आम रौ उ लै दिल्ली आणी छु 

हमर तो जम्मै घर बै चलणी छु 
व्हीक है बे भ्यार के न फलणी छु 

हमर छोड़ो हाल आपुण सुणाओ 
घय्यौं कतु है रौ सकरांतम बताओ 

गोर-बाछी सब बियै गन्हाल 
कां घरूँ घयौं-कां धरूँ घयौं सब बाखइ वाल कन्हाल 

ठंगरी साग दगै नौणीक ब्याल हनाल 
छां गं उमाई लियो बुढ़ी-बाढ़ कन्हाल 

चौमास छु ज़रा ध्यान धरिया 
गोठपन क्षीर फुट जैं ख़्याल करिया 

तुमाड़ बीं धरहं आइ बनै दिया 
दी-चार  लौकि-मासक बड़ि मिहं बचै दिया 

छुट्टी मिलला जब्अ घर पक्क औंल 
खीर पड़यांल काटणी एैबे खौंल 

सुणो ! हमर के छु हमर बजारक चल रौ 
आदुक नगद में छु आदुक उधारक चल रौ 

एक पाव घय्यौं यैं बै मोल ल्यौंल 
फ़ेसबुक पार पजै हैप्पी सकरांत कौंल 

हम पैकटी है गईं, तुम पकैटी नि हया 
घरक घय्यौं लिबेर शुभ सकरांत कया 

घरक घय्यौं लिबेर शुभ सकरांत कया । 

हीरा सिह अधिकारी

बुधवार, 16 अगस्त 2023

घ्यू त्यार

पलायन क कारण उत्तराखण्ड में त्यारों की वास्तविकता पर  कुमाउनी रचना______
*कलम क गलती माफ करिया*
*दिल दुखुणक विचार न्हैं*!

*म्यर लैखी भल लागों त शेयर करणि मददगार चै*!!

नै दूध , नै दै,  नै ग्वोंठ,  नै गौरु!

नै बाड़ , नै ख्वाड़,  नै पिनाऊ ग्वाब!

त्याग हैलि खेत हमूंल 

नै जू रै ग्यो ,नै हॉव ,नै हैय्यी ,नै हलकार!

नै नय्यी, नै ठय्योक ,नै मण, नै नाई ,नै नॉव ,नै पन्यार!

काबटि मनूंछा घ्यू त्यार!
कुडि़   गड़ भिड़ छोडि़  सबैं न्हैगी भ्यार!

त्याग हैलि संस्कृति और सभ्यता
पर्वों में मतिहीनता दैखू रई!

फेसबुक व्ट्सअप में हैपी हैपी लेखि सब त्यार मनूंरई!

सबैं  प्रिय बंधुओ कें
घ्यू त्यारै क बधाई.!!
_______________देव सती

बुधवार, 9 अगस्त 2023

कवियत्री अंकिता पंत जी की सुंदर पंक्तिया

बेशक खुशियां चुनने पहाड़ आओ 
अपनी ख्वाहिशें भी तुम साथ लाओ
मगर एक गुजारिश है आपसे 
शहर की हवा यहां मत फैलाओ 

चुल्हा जलता है यहां मिट्टी से लिपा जाता है 
उस मिट्टी की सुगंध पर,टाइल्स की परत ना चढ़ाओ 
एक गुजारिश है आपसे
शहर की हवा यहां मत फैलाओ

मंदिर एक जगह नही, पूरा  घर बन जाता है 
उस मंदिर को एक कोने में मत बसाओ 
एक गुजारिश है आपसे
 शहर की हवा यहां मत फैलाओ 

अवसाद कम करे ये मौसम कहां  है 
सुकून की पहली ,आखरी परत यहां है 
मगर दृश्य दुर्लभ हो जाये,इतने आधुनिक न बन जाओ 
एक गुजारिश है आपसे 
शहर की हवा यहां मत फैलाओ 

आशियाने हमारे साधारण है 
रहन सहन साधारण है 
वास्तविकता की सरलता में,अश्लीलता की परत ना चढ़ाओ 
एक गुजारिश है आपसे 
शहर की हवा यहां मत फैलाओ।
                    अंकिता पंत बिष्ट ✍✍
PC.credit - Gautam 

सोमवार, 7 अगस्त 2023

श्रीमान भुवन विष्ट जी की जय शंकर महादेव कुमांऊनी रचना

जय जय शंभू महादेवा,धरिया हमरि लाज
विनती सुणीया हे देवा,सुफल करिया काज
एक हाथ डमरु त्रिशूल,गले सांपों की माला
कैलाश में आसन लगाई,पहनी छ मृगछाला
अंग छन बभूति लगायी,तुम जगत रखवाला
संग माता पार्वती छन,कार्तिकेय गणेश लाला
जय जय शंभू...................
त्रिकाल दर्शी देव तुम छा,महादेव त्रिनेत्र धारी
जय देव तुम छा वरदानी,जै नंदी की सवारी
हे शंभू भोले बाबा तुम छा,सबूंकैं लाज धरणीं
दुणिं में खुशहाली कौं देव,भंडार छा भरणीं
अन्तर्यामी तुम महादेव,घट घट कौं निवासी
लाज धरिया हर बखता,जै शंभू कैलाशवासी
जय जय शंभू....................
अमरनाथ तुमौर वासा,केदार बाबा तुम छा
जै बागेश्वर बागनाथा,जागेश्वर तुम बसछा
जटा बसी रै गंग तुमरी,शीशचन्द्र त्रिशूल धारी
जै जै महाकाल महादेव,हामौर छा पालनहारी
हाथ जोड़नूँ टेकी मुनाऊँ,दिया थान में जलानूँ
आयूँ मैं तो त्यौर शरणा,चरणों में शीश झूकानूँ
अन्न धनक भकार भरिये,रोग दोष कैं दूर करिया
लाज धरिया हे महादेवा,गौं घर खुशहाल करिया
घट घट कौं देव निवासी,जै शंभू शिवालय वासी
शंभू में छूँ त्यौर विश्वासी,जै जै शंभू कैलाशवासी
जय जय शंभू............
विनती सुणीया हे देवा,सुफल करिया काजा!

शनिवार, 8 जुलाई 2023

पहाड़ मे कतु भल दिन हूछी

पाथर छायी मकान हूँछी
नानू नान कुड़ी में लै फरांग हूँछी
भीं में बिछै बेर गद्द चटाई
भली भल नींन उछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….

आम –बुब काका –ताऊ, भै – बैणियोंक पुरि बरात हूँछी
मिल जुल बेर रोंछी सब, हमर लिजी रोजै त्योहार हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….

रत्ती फजर देवी थान बटी, शंख घंटीक आवाज उछी
छाज में भै बेर बुब लै हमार, गुड़गुड़ी हुक्क में तान भर छी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….

दिन भरीक थकी पराण, खेतों में पसीण बहौं छी
आलू –पिनाऊ साग दगैण ,मडुवक चार रौट खछी 
रत्ती कनै भलीक्कै पेट लै साफ हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….

रत्ती कनै जब सब सै रोंछी, ईजक आदू काम है जछी
गोरूक दूध निकाव बेर, भिनैर कै चणै दिछी
दूदक गिलास किनार धर बेर
किरौटी लिजी भै – बैणियों में लड़ाई हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल  दिन हूँछी….

बाबू जछी गोरूक ग्वाव, ईज खेतम कुटैयी छापेरि लि जछी
भै–बैणियोंक दगण हमलै , बाखोई में डोइनै रौंछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….

ठुल दादीक पेंट जब ,घुन जाणे पुज जछी, चार हरी पिहाव टल्ल जब
विक पिछाडि लाग जछी
ऊक बादा ऊ म्यर नई पेंट हूँछी, पेंट पैण बेर मैं लै खूब इतरौंछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….

स्यो,खुमानि,पुलम,काफो
हमर पहाड़ में खूब हूँछी
अडडू , बाघ– बकरि , साँप सीड़ी
हमर नान छनाँक खेल हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….

भल करला भलै हौल, आम–बुबुक य सीख हूँछी
पहाड़ेक ठंडी हाव में, ईष्ट देवोंक आशीष हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….

शुक्रवार, 23 जून 2023

माथे आम

भूलीबैर नी भूलीन आमा तुमरि याद

क्यै नी हैरोय जसै आई यकिन नी उन

तुमार उ भाल सीख ले आइ याद उनी

आखों मे आंसू ले दगडें उनी

बिछणनी वाल लोटि उनी एक दिन

य सोचि बैर हम सब इंतजार करुल

अब त बस तुमरि यादों क सहार छु

आमा कामकाजों के पछ्याण दी तुमुल

य सब लफ्जों मे बया करण मुश्किल छ

तुमरी भल सीख तुमरि रुपैकि पछ्याण छु

तुमार यु मांगल गीत  कामकाजोंक शान छु

आब होइ होइ जा नी लागन
ना  दिवाई दिवाई जा लागी
तुमरि कमी क हर कामों मे एहसास हूँ
बूढ़ा दगैं बूढ़ नना देगे नान
हर बात के आपूं हिसाबल समझूणक ढंग

म्यर समझण मे नी उ रय 
जतू लेखों उतू कम


ओ अमा शत शत नमन
फूलों सा चेहरा गीत मे  नाच बैर कर गछा रनमन
पर भूलिबैर नी भूलीयलि तुमरि याद

हर भाल नाक कामकाटों मे तुमरि कमी सबूके खलेलि

माथें अमा की प्रथम पुण्य तिथि पर सादर  समर्पित कविता 

देव सती पहाड़ी बटोही

रविवार, 11 जून 2023

प्रिये तुम रामचरित मानस पढना

प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।
जीवन के अनुबंधों की,
तिलांजलि संबंधों की,
टूटे मन के तारो की,
फिर से नई कड़ी गढ़ना,
प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।
बेटी का धर्म निभाने को,
पत्नी का मर्म सिखाने को,
भाई का प्रेम बताने को,
हर चौपाई दोहा सुनना,
प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।
लक्ष्मण से सेवा त्याग सीखना,
श्री भरत से राज विराग सीखना,
प्रभु का सबसे अनुराग सीखना,
फिर माता सीता को गुनना,
प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।
केवट की भक्ति भरी गगरी,
फल मीठे बेर लिए शबरी,
है धन्य अयोध्या की नगरी,
अवसादों में जब घिरना,
प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।
न्याय नीति पर राम अड़े,
संग सखा वीर हनुमान खड़े,
पशु-पक्षी तक हैं युद्ध लड़े,
धन्य हुआ उनका तरना,
प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।
जो राम नाम रघुराई  है,
जीवन की मूल दवाई है,
हर महामंत्र चौपाई है,
सियाराम नाम जपते रहना,
प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।
जगती में मूल तत्व क्या है?
राम नाम का महत्व क्या है?
संघर्ष में राम रामत्व क्या है?
संकट में जब तुम फंसना,
प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।
हर समाधान मिल जाता है,
कोई प्रश्न ठहर नहीं  पाता है,
बस राम ही राम सुहाता है
श्री राम है वाणी का गहना,
प्रिय तुम रामचरितमानस पढ़ना।।

गुरुवार, 8 जून 2023

द्वाराहाट गांव के नाम

द्वाराहाट.....गौं क् नौं
बिन्ता भतौरा 
सुरना सटोरा
कामा कनोगूं 
इडा   डूडोगूं
बाड़ि धमोली
सुनोली किरोलीuh
छतिणा असगोली
भनरगौं पिनोली
सलना वलना बसेरा 
हाट बासूलीसेरा
मैनारि खकोली
दैरी आगर बैड़ी
रणा कुणा कुई  मेनोई
बयाव बैडती पान
तली मली  मिरयी
जाख    बैनाई
छतिणा   छतगुल्ला
नौकोट  पारकोट 
मटेला   हथिखुर
बिदेपुर  बिजपूर
बग्वाली पोखर
गोडगूं। पोखरी
नागार्जुन  कहाली
कौंव। भगतोला
पनखुई दूनागिरि उदेपुर होला
बताओ नानो तुम कति रौला!!!  Jsk

और लै छन ऐल याद निओ राय
बाकिं  दुरहटी बताया  ...गौं क नौ

अन्तर्मन की बात


--------------
धारावाहिक
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अन्तर्मन की बात-

मन के बाजारों में भटकने वाले कभी हृदय की गलियों में भी घूमा करो ।
जिसके कारण यह सुन्दर जीवन पाया कभी उनके चरणों को भी चूमा करो ।

मतवालीआँखों से सब सुन्दरता देखी कभी मन की आँखों से देखा करो ।
मदमाते अधरों से खूब रसपान किया कभी दो बोल प्रेम से बोलो दिया करो ।

भगवान की पूजा करने वाले हाथों से किसी असहाय को भी कभी सहला दिया करो ।
सुख वैभव से मन को बहलाने वाले कभी किसी व्यथित मन वाले को बहला दिया करो ।

अपनी ही बड़ाई करने वाले दूसरों की करनी कथनी को भी कभी अच्छी बता दिया करो।
अपने ही गुणगान का पाठ करने वाले कभी प्रभू के भजन सुना दिया करो ।
🌷
बहुत बहुत शुभकामनायें।🌷👍🙏

बुधवार, 7 जून 2023

श्री श्ंकर दत जोशी जी की पर्यावरण पर कविता

💐कैमरे के सामने 💐
******************
आज फिर कैमरे के सामने 
पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा ।
मंत्री जी पेड़ लगाएंगे 
पेड़ को बकरा खाएगा 
बकरे को मंत्री जी द्वारा 
शाम को खाया जाएगा ।
आज फिर कैमरे के सामने 
पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा ।
सड़क पर कूड़ा डाला जाएगा 
नेताओं द्वारा झाड़ू लगाया जाएगा  ।
कैमरे वालों के जाते ही 
झाड़ू वहीं पर सड़ेगा !
झाड़ू को कीड़ा खाएगा ।
आज फिर कैमरे के सामने 
पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा ॥.
देश के नाम संदेश होगा !
प्रदेश के नाम संदेश होगा !
और संदेश शहर शहर घूमेगा 
रात के होते होते बेचारा संदेश 
कूड़े के ढेर में खो जाएगा ।
आज फिर कैमरे के सामने 
पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा ॥
🌺🌺🌺🌺🌺
"शंकर दत्त जोशी "

सोमवार, 5 जून 2023

शंकर दत जोशी जी पर्यावरण कविता

आने वाले समय में
*****************
हो सकता है आने वाले समय में
बादल बरसों बाद बरसें
और हम पानी के लिये तरसें
या रोज बरसात हो
महीनों बाद सूरज से मुलाकात हो
जंगल किताबों में मिलैं
शेर बाघ ख्वाबों मैं मिलें
जंगलों के जलते जलते
बुरांश इतिहास बन जाय!
और काफल सिर्फ का फल? रह जाय
आने वाले समय में हो सकता है
हिमालय पिघल के गंगासागर को चल दे
नदी नाराज होकर अपना रास्ता बदल दे
हो सकता है आक्सीजन वायुमंडल को
बाय बाय कर जाय।
और सांस लेने को केवल
कार्बन डाइ आक्साइड रह जाय
हो सकता है जनसंख्या यों ही बढ़ती जाय
और जंगल घटते जाय
लोगों को छतों मैं फसल उगानी पड़े
एक टाइम रोटी बने और दस टाइम खानी पड़े
हो सकता है डीजल पेट्रोल सूख जाय
और महंगी कार वालों का घमंड टूट जाय
एक दिन में कई बार बादल फटें
हो सकता है पहाड़ अपनी जगह से हटें
हम हर बार पेड़ लगाते हुए फोटो खींच
पर्यावरण दिवस मनाने का नाटक करें
नेताओं की धुआं छोड़ती गाड़ियां
सीएफसी की चिमनी लगी अटारियां
सब खतरों से बचना है तो
अभी समय है आगे आओ
आने वाली नश्लों के लिये
 अपना पर्यावरण बचाओ।।
अगर पर्यावरण बचाना है तो 
जनसंख्या पर रोक लगानी है
प्रकृति पर दबाव घटाना है तो
जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना है
नीति निर्माताओं सावधान!
तुम्हारे लाड़ले तब राजनीति करेंगे
जब वो जिंदा रह सकेंगे ।
अब तो बात गले तक आई
पर्यावरण दिवस की बधाई।।

*********शंकर जोशी ********

मंगलवार, 28 मार्च 2023

बिजनेस

एक समय की बात है , एक गाँव में एक
आदमी आया और उसने गाँव वालों से
कहा कि वो बन्दर खरीदने आया है , और वो एक
बन्दर के 10 रुपये देगा . चूँकि गाँव में बहुत सारे
बन्दर थे इसलिए गाँव वाले तुरंत ही इस काम में
लग गए .
उस आदमी ने 10 रूपये की rate से 1000 बन्दर खरीद
लिए अब बंदरों की supply काफी घट गयी और
धीरे धीरे गाँव वालों ने बन्दर पकड़ने
का प्रयास बंद कर दिया . ऐसा होने पर उस
आदमी ने फिर घोषणा की कि अब वो 20 रूपये
में एक बन्दर खरीदेगा . ऐसा सुनते ही गाँव वाले
फिर से बंदरों को पकड़ने में लग गए .
बहुत जल्द बंदरों की संख्या इतनी घाट
गयी की लोग ये काम छोड़ अपने खेती -
बारी में लगने लगे . अब एक बन्दर के लिए 25 रुपये
दिए जाने लगे , पर उनकी तादाद इतनी कम
हो चुकी थी की पकड़ना तो दूर उन्हें देखने के
लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती थी .
तब उस आदमी ने घोषणा की कि वो एक बन्दर के
50 रूपये देगा . पर इस बार उसकी जगह बन्दर
खरीदने का काम उसका assistant
करेगा क्योंकि उसे किसी ज़रूरी काम से कुछ
दिनों के लिए शहर जाना पद रहा है . उस
आदमी की गैरमौजूदगी में assistant ने गाँव
वालों से कहा कि वो पिंजड़े में बंद
बंदरों को 35 रुपये में उससे खरीद लें और जब
उसका मालिक वापस आये तो उसे 50 रुपये में बेंच दें .
फिर क्या था गाँव वाले ने
अपनी जमा पूँजी बदारों को खरीदने में
लगा दी . और उसके बाद
ना कभी वो आदमी दिखा ना ही उसका assistant,
बस चारो तरफ बन्दर ही बन्दर थे .
दोस्तों कुछ ऐसा ही होता है जब Speak Asia
जैसी company अपना business फैलाती है .
बिना ज्यादा मेहनत के जब
पैसा आता दीखता है तो अच्छे-अच्छे
लोगों की आँखें चौंधिया जाती हैं और
वो अपने तर्क सांगत दिमाग की ना सुनकर
लालच में फँस जाते हैं .
जब Speak Aisa आई थी तो मुझे भी कई लोगों ने
इस join करने के लिए कहा था , पर मैंने join
नहीं किया क्योंकि मैं उनके business model से
संतुष्ट नहीं हो पाया . और यकीन जानिये
ज्यादातर लोग संतुष्ट नहीं हो पाते , जब बहुत
आसानी से पैसा आता दीखता है
तो कहीं ना कहीं आपके अन्दर से आवाज़ आती है
कि कहीं कुछ गड़बड़ है , पर हम ये सोच के पैसे
लगा देते हैं की अगर company 6 महीने और
नहीं भागी तो भी मेरा पैसा निकल
जायेगा .
कई लोगों का पैसा निकल भी जाता है , पर
जहाँ एक आदमी को फायदा होता है वहीँ 10
लोगों का नुकसान भी होता है
यानि यदि आप अपने लाभ के लिए
किसी ऐसी company से जुड़ते हैं तो आप कई
लोगों का नुकसान भी कराते हैं . और अधिकतर
नुकसान उठाने वाले लोग आपके करीबी होते हैं .
इसलिए कभी भी ऐसे लुभावने वादों में मत आइये ;
आप पैसे तो गवाएंगे ही साथ में रिश्तों में
भी दरार पड़ जायेगी .
तो अब जब कभी कोई आपसे बिना मेहनत के
पैसा कमाने की बात करे आप उसे इस Monkey
Business की कहानी सुना दीजिये और
अपना पल्ला झाड लीजिय

आपका दोस्त,

शनिवार, 18 मार्च 2023

प्रकाश पाण्डेय जी की रचना

*🦚🎋यस हुंछ बसंत🍁💐*
न्हैगे बसंत पंचमी, होइ लै न्हैगे, 
      न्हैगो फुलदेई क फूलों क त्यार! 
ऐगे भेटोई आब् पुरि पू पकाल, 
       चेलि बेटि आलिन मैताक द्वार !! 

गाड़ाभिड़ां पन हैरौ हरियो घा, 
       गोरु बाछ् खै बेर लागि रईं उगार ! 
ग्यौं जौं बालाड़ पौषण लै रईं ,
       राड़ सरसों कि लै हैरै छ भरमार !!

बांजाक् डावां में पौव ऐ रौछ , 
        बणूँ बणूँ में फुलि रईं बुरांश हजार ! 
सम्यो गुलबनफ्स खुशबू दीणईं,
       आरु आल्पोखरै कि माया अपार !! 

आम पौंय मेहव सब फुलि रईं ,
          बनस्पतिनक् खुलि रौछ भन्डार !
सुरसुरू पौन चलण लागि रै छ,
         ना कैं बर्ख न कैं छ कच्यार !! 

गुणि बानर चाड़ पिटंग आश् में छैं, 
         पाकलि यो फसल होलि बहार ! 
नि रई कुड़ि बाड़ि बजीण गाड़ भिड़, 
       प्रकाशल् छोड़ि दी आपण घरद्वार !!
              *प्रकाश पाण्डेय* 
             *कनखल (हरद्वार)*

गुरुवार, 16 मार्च 2023

fuldeyi

फूलदेई छम्मादेई
********"****       दीवान सिंह कठायत.

धुर जंगल खिली बुरांशा
गाड़ खेतन प्योलि आल
इजुली मेरी प्योलि ले आली
बापुजी बुरांशा लाल- लाल
आरे ऋतु बहारों की
ओहो फूलदेई को त्यार
देली- देली मा फूल डालूंलो
फूलो फलो भरो भनार
नाइधोई टिक लगायो
डालि धरि मैंले फूल
संग- संग मा संगज्यू का
गयूं घर-घर डालन फूल
आमा जेड़जा काकि भौजाई
 बुबु ददा काका ओ बैणी भाई
फूलदेई छम्मादेई - फूलदेई छम्मादेई
चावल गुड़ रूपयां पाई झोली भरी हाली
गुड़ होली चहा टपकी चावलों साही बलूंन
बटुवा माजा धरि रूपयां खूब धनवान बणून.

         प्रधानाध्यापक ,राआप्रावि उडियारी, बेरीनाग.

मंगलवार, 14 मार्च 2023

फूलदेई

चारों ओर पेड़ों में फूलों से लबालब डालियां हो, फ्यूली, बुरांश,खुबानी, पुलुम, और बासिग के फूलों संग हजारी, कुनूरी, और अनगिनत फूल जवां हो, नये साल का आगमन का आगाज़ फूलों की मदहोश करने वाली खुशबू से होता हो, भंवरों की गुनगुनाहट से दिन की शुभ शुरुआत हो,हल्की ठंडी और सुकोमल सूर्य की किरणों से आलम सराबोर हो रहा हो, बचपना याद दिला जाती ये ऋतु कभी देली देली चावल और फूलों से पूजने का मौका हमे भी मिला था, हर गांव के हर घर से मंगल आसीस हमने भी पायी थी, ये अंदेशा है फूलों के त्यौहार का , संदेशा है उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई पर्व की शुभकामनाएं, बुधवार 1५ मार्च २०२३.. *आपसे न्रम अनुरोध है आप पहाड रहे या प्रवास मे रहे कल फूल संक्रांति को अपनी देली को दीवाली पर्व जैसे फूलो💐🌸🌺🪷🌷🌹💐🌻🌼🌸🌸🪷🪷🌸🌸🌻🌻🌻 से संजाकर पर्वतीय लोकपर्व का संदेशा अपनी आने वाली पीढी को दे, अपने आस पडोस को भी अवगत करवाये अपनी महान लोकसंस्कृति से।
देव सती पहाडी बटोही🙏

सोमवार, 6 मार्च 2023

आब क होइ

पैलिका होय जब बनछी तब

बुरुसी को फूलों को कुमकुम मारो
डाना काना छाजि गै बसंत नारंगी!!

(आब जब होय  बनन तो शैद यास)

चारो तरफ जंगोन भणि री 
पेड पौध जलि री जंगोव हमारा
सवा पेड़ों की है र छी भरमारा
बाजे पेडों का नान नान बोटा

बूनों ले लाल है रे छी धरती हमारी
आग लागी बै धुवार फूकि री
सवा पेड़ों की है र छी भरमारा
बाजे पेडों का नान नान  बोटा

अल्ले बटि है गै पाणिक मारमारा
उनि वाल टैम मे पाणिक हाहाकारा
जल जगंल जमीन बचावों
घर बण सब झणि कुछ त जतन करा हो।

आपूं सबों के  होली की हार्दिक शुभकामनाएं
रचना- देव सती (पहाड़ी बटोही)

शनिवार, 4 मार्च 2023

सोचो साथ क्या जायेगा

🌹🌹एक व्यापारी था, वह ट्रक में चावल के बोरे लिए जा रहा था। एक बोरा खिसक कर गिर गया..

कुछ चीटियां आयीं 10-20 दाने ले गयीं, कुछ चूहे आये 100-50 ग्राम खाये और चले गये, कुछ पक्षी आये थोड़ा खाकर उड़ गये, कुछ गायें आयीं 2-3 किलो खाकर चली गयीं, एक मनुष्य आया और वह पूरा बोरा ही उठा ले गया। अन्य प्राणी पेट के लिए जीते हैं, लेकिन मनुष्य तृष्णा में जीता है। इसीलिए इसके पास सब कुछ होते हुए भी यह सर्वाधिक दुखी है।  आवश्यकता के बाद इच्छा को रोकें, अन्यथा यह अनियंत्रित बढ़ती ही जायेगी, और दुख का कारण बनेगी।🌹🌹

रविवार, 19 फ़रवरी 2023

राजेन्द्र सिंह भण्डारी जी की कलम से

आजकलाक ब्वारी (राजेंद्र सिंह भंडारी) 

तुम छा परदेशी तुमकें बेटा खबर नि छू
आजकल ब्वारियों कें सासु डर नि छू

सासु कें झुकण पड़ल बवारिक खुट में
य बात में च्यला के अगर मगर नि छू

मुखड़ उज्याव पट क्रीम पौडर लगै भेर
मन आज भोव ब्वॉरियोंक ग्वर नि छू

टिकुलि बिंदुली साड़ी बिलौज मिजात
बांज घा ल्यौणी ब्वॉरियोंक ख्वर नि छू

कठिन हगे पोथा जिंदगी उत्तराखंड में
य दिल्ली बंबई कलकता शहर नि छू

पुर उतरखंडक इजा यसै छू हाल के हों
सुख शांति वाल य टैम में एक घर नि छू

दै दूध गाई छां देखनू हम आब स्वैणों में
धिनाई नाम पर घरों में एक थ्वर नि छू

दरप दाहा में ख़तम छू आजकल पहाड़
गों इलाक छोड़ इजा आपण स्वर नि छू

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

प्रीती जोशी जी की कलम से

सुनो ,
फलाने कल तुम ख्वाबों में आये थे 
मिलने आये थे ? 
या
मेरे कुछ ख्वाब साथ में जीने आये थे? 
या 
तुम्हें भी मेरी तरह हफ़्ते में एक दफ़ा
दूर बचपन को देख मुस्कुराने की आदत लग गयी है? 
देखो अगर ऐसा है तो बेझिझक बता दो
कुछ छुपाओ मत
क्योंकि आदतें छुपाना नामुमकिन है
और
देर सबेर तुम्हारी ये आदत भी सामने आ ही जायेगी
फिर क्या करोगे? 
सफाई दोगे! 
इश्क़ से मुकर जाओगे ? 
या कह दोगे 
की हमारा यूँ ख्वाबों में मिलना
महज मेरी आँखों का ख्वाब है 
और साजिशन मुलाकात पर उठे सवालों
का ये एक बेतुका जवाब है 
या झुठला दोगे दादी की वो बात
कि 
जब कोई हमे सपने में दिखता है तो
मतलब वो हमें बहुत याद कर रहा है 
मिलना चाह रहा है 
कुछ बातें हैं उसके मन में
जो वो कहना चाह रहा तो है 
तो अगर 
याद है तुम्हें तुम्हारा दादी की बातों को
सच का आइना कहना
तो इंतज़ार रहेगा
मुझे, 
वहीं जहाँ पेड़ों ने पहना है
यादों का गहना | 
@ प्रीती जोशी.

गणेश वंदना

गणेश ज्यू तुमर रूप छ निराला,

कोटि सूर्यक छ तेमे उज्यावा

सिंदुरलाल चढ़ाय अपण मनक

सुन्दरलाल विराजेछा 

सुतगौरी-शिवका

हेगणपति तुम सबन के दुःख दूर करिया

संकट में हम सबोंक रक्षा करिया

ग्ञानी दानी तुछै सिद्धिदाता,   

सबुक लिजी तु प्यार बरसुछा

हाथ में लिई लड्डू प्रभुगजानन,

सब भक्तोंके मिलो त्यर दर्शन

हर गुण बे पूर्ण छा हे शिवगौरीनंदन,

तुकै भायो कुमकुम केसर चन्दन

मोतियोंक माव चमकि त्यर गव पर, 

खुशि लहरए सबुके द्वार पर

जय श्री गजराज विद्यासुखदाता,   

गणपति बप्पा तु छै विघ्नहरता

त्यर दर्शनल  मिलजै जीवन में सफलता,

झुकाबे सिर त्यर खुटामें मिले प्रसन्नता!

देव सती

गौ घर बार

गौ घर बार छोड़ शहरो हू गाय

करहू अपण सपन सकार करन

 भीड़-भाडेको मे ऐबे बन बैठी छ लाचार!

 शहरो में जन-जन गली गली भटकनी

 सपन टूट मन भटक जा

 शहर-शहर नि पा सकू मंजिल

 सदचार खो चुक गो

हैं भीड़-भाड़ में ऐबे बन बैठी छो
 लाचार

निज स्वार्थपूर्ति में दिखियो सब

अब कौ करो भल

 उपकार लिजी तरसरि शहरो में

 आपणपन का मिलो या का

 अपण ज प्यार का मिलू या शहरो मै

अरमानोंकी फाँचि लाद फिररो शहर मा

भटक रि बेरोजगार खो चुक गी उ सपण

 भीड़-भाड़ में ऐबै बन बैठि छ लाचार!

कविता देव सती 
पपनैपुरी

शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

श्रीमान तारादत्त तिवारी जी की कविता

दगडियो पेश छ कविता 
    फिकर 
मनखिया तु 
  आजेकि सोच 
भोवेकि फिकर निकर 
दौ दयाप्तनौक नाम ले 
यैकि उव्वीकी जिगर निकर 
मणि आपण 
भाटन मै मसक दे 
    दुहरेकि कमै मै 
          नजर नि धर 
सजेकि जाग 
      ठिकांण बणा 
तौ त्यार हुं 
    आपणि मै माटि 
          कैं लै याद कर 
त्यौर गुजार 
    लैक ऐ जाल 
तु दिन रात 
  ततुक तौयाट निकर 
वौल दिन गै 
   पौल दिन गै 
नसि जलि त्येरि लै उमर 
मनखिया तु 
    आजेकि सोच 
भोवेकि फिकर निकर 
              फिकर निकर ।।

रविवार, 5 फ़रवरी 2023

थैचू

आवश्यकता आविष्कारैकि जननी हूं . जब जब जरूरत पडी लोगबाग आपुण जरूरता क हिसाबैलि आविष्कार करि दिनन . 
तसै एक आविष्कार छ थेच्चू .. थेच्चू हमर पहाडक आविष्कार छ . हमार यां कतू प्रकाराक थेच्चू बणनन . आलू क थेच्चू . मुलक थेच्चू . मूलक थेच्चुवक प्रयोग सलाद में . झोली में और साग बणूण में हूं . एक थेच्चू किलमौडाक फूल नक ले बणौं . जछैं सांनण ले कूनी . किरमौडाक फूल और पांलगाक बलाड कूटि बेर .. मतलब थेचि बेर सांनण बणाई जां . 
कबै कबै मी सोचूं कि यो थेचुवक आविषिकार कसी भो हुन्योल कैलि करि हुन्योल . भली कैबेर काटि बेर जै खान् धें . भला भाल टुकुड बणून . मतलब तरीकैलि खान .. यो कि बात भै सिल लोड में थेचिबेर खाण   
तब मैलि सोचो कि हमर पहाड में स्यैणी बहुत कर्मठ हुनी . खेति पाति क सब काम इनारै कन्ध न पर हूंछी . रत्ति ब्याण उठि बेर पाणि लूण . बुड बाडि नानतिनाक लिजी पाणि ततूण . द्याप्त पुजण नानतिन बट्यूण .ठुलतिन बट्यूण ईसकूल लगूण . लाकाड लूण . घा पात निराई गुडाई भितर झाड पात झाडन .. मतलब .. सब कामनक ठ्याक स्यैणिनक भै . बहुत ज्यादा काम और समयैकि कमी . 
तब क्वे स्यैणि लि फटाफट क चक्कर में आल को काटण लागि रूं ढील हुण रै कैबेर फटाफट आल थेचि बेर पकै दे हुन्याल .. बस परिवार वालन सवाद लाग हुन्योल .. तब बटी थेच्चू प्रचलन में आ हुन्योल ... 
हां यो बात ले छ कि ईज कबै कबै उपद्रैबि करण में हमन छै कूंछी कि - रनकारा मारि मारि बेर थेच्चू बणै द्यूल .. 
पर के ले कओ हो .. थेचुवक एत अलगै सवाद छ . सिल में जमैं सब मस्याल हल्द पिसी रूंछी उमें थेचि मुलक सैलेड .. मतलब सलाद .. आहा ..... आब शहरन में सिल लोड क जाग में मिक्सी ऐगे .. उमें थेच्चू बणाओ ले कसिके . ल्हि दिबेर चकई बेलण रै गोय थेच्चू बणूणी यन्त्र .. चकई में मुल थेचण बैठ्यू तो चोट मारते ही मुल उछीटी बेर क्वाडन जानै रौ .. मैलि फिर हाथैलि मुल पकडौ और बेलण मारौ जोरैलि ....... ओईज्या मेरी ...... आंगूं जै थेची पड गो आगहान ......... मतलब मैर बिती एक नई आविष्कार हैगो ...... आगुलक थैच्चू ....आयोडैक्स लगैबेर ले ठन्ड नै पडमैई .. आब नंग उचेडीछै जि बजीं .....

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

मेघ अब तो बरस जाओ, 
मन को थोड़ा हरषाओ
ऊसर माटी को कुछ तो सरसाओ। 
खेतों में सूखती खड़ी फसलें
कब से पानी को तरस रहीं, 
शेर का डाँडा और अयारपाटा
पर्वतश्रेणियों के बीच पसरी
कृषकाया नैनी झील अपलक
तुम्हें बस तुम्हें निहार रही!

हाल में तुम आए थे, 
उम्मीद बनकर नभ पर छाए थे,
लेकिन तुम गरजकर, आँखें दिखाकर
डराकर रफ़ूचक्कर हो गए!
क्यों भूल गए कि तुम्हारा काम 
डराना नहीं हरषाना है 
खड़ी फसलों को महकाना है, 
डराने के लिए तो प्रशासन ही काफ़ी है!

हे मेघ, इतनी खुशामद तो न खाओ, 
लिहाज करो, अब तो बरस जाओ!
इंटरनेट के हाईटेक युग में 
भला कोई इतनी खुशामद खाता है,
 शहर की किशोरियाँ कह रहीं 
अगर खाना ही है तो गोलगप्पे खाओ! 
अगर मन न भरे 
तो नूडल्स, पास्ता खाओ, पिज्जा खाओ!

लेकिन तुम सोचो पानी, बरफ़ गिराने का 
अपना मौलिक काम छोड़कर 
गोलगप्पे, पास्ता, पिज्जा खाते हुए 
तुम कैसे लगोगे? एकदम बजरबट्टू!

और 
दूर किसी आमा की तुमपर निगाह पड़ेगी 
तो जानते हो वो क्या कहेगी? 
"त्यर ख्वर में डाम 
मणि चाओ धें ओ इजा, 
कस जमाण ऐगो कि
बादोव खाँण लागरे 
नूडल्स, पास्ता, पिज्जा!!" 

इसलिए मेघ अब तो सम्हल जाओ
समय रहते कुछ तो बरस जाओ! 

धनेश, नैनीताल डेस्क, फरवरी 2,2023

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

आहा रे मेरो उत्तराखण्ड

जै उत्तराखण्ड  (गीत) 
************
मानसखण्ड केदारखण्ड
के भली भूमि जै उत्तराखण्ड
देवभूमि पुराणों की धरा-----
ऊंच -निच धरती हिमाली हिमाला.

गंगा यमुना सरयू पावन
पिण्डर गोरी काली मनभावन
पंचप्रयाग यां बदरी केदारा
गंगोत्री यमुनोत्री हरि हरिद्वारा
        तोप् -तोप् अमृत कण -कण में शिवाला
        उंच -निच धरती............................ 

साल शीशम सालो बांज देवदार 
सेमल तुन खड़की बुराशों बहार
धानों छमाक अहा गेहूँ की बाला
मसूर भट राजमा गहतों की दाला
          मडुवा कूंण कान्दो भटिया खा जाला
          उंच -निच धरती........................... 

उत्तरकाशी औली श्रीनगर टिहरी
दून की घाटी देखो छबीली मसूरी
नैनीताल कौसानी ओहो मुनस्यारी
पाताल भुवनेश्वर जागेश्वरा दुनगिरी
            रंगीलो यो पहाड़ रिवाज रंगीला
            उंच -निच धरती.................... 

      दीवान सिंह कठायत, प्रधानाध्यापक, 
       राआप्रावि उडियारी, बेरीनाग (पिथौरागढ) उत्तराखण्ड.

सोमवार, 16 जनवरी 2023

सफर लम्ब हुं, जिंदगी छोटि हुं।
आ्ब इदू सफर में कदुक पहाड़ में रूं।
उ कुड़ि अब कसि आबाद हुं।
क्वे भै बैड़ी रूनी वा, क्वे का्क काकी रूनी वां।
कदुक निकल गी, कदुक निकलनेक त्यारी में बैठ री वां।
जिंदगिक शौक और जिंदगी बितुनेक में भौत अंतर आजा।
जिंदगी शौक तुमन क एक जाग् बैठ बेर न मिलन,
जिंदगी जाग् जाग् भटक बेर न बिताई जा्न।
आ्ब आपुण बिरादरी में ज नाम रखनू,
यां फिर आपुण नाम पहाङ में राखनू।
आ्ब के लै जान्हा त आपुण पहाड ढूणना,
क्वे सफर में ल छा जब जा्ण पहछान ढूणना।
आ्ब घर में इज हौश में ला्ग रै कि च्यल घर ऊणौ,
कदुक दिन में वापिस आ जालै नौकरी बै फोन ऊणै।
आ्ब का्क ज रूनू, ये बात भौतै परेशान करनै,
मैंकैं आपुण पहाड़क याद ऊणै।
🌼🍁💜

गुण निधि जोशी जी के फेसबुक वॉल से

आलूक थेच्छय़ू प्याजक पुड़पूड़ी
काकड़क रेत मूअक साग
मुंगेकि मुंगोड़ी माशेकि बड़ी
कावपट्ट चुणकाणी लसपस भात
इज खोची खोची खवे दिछि
जिबड़ीक म्यरा बड़ मिजाज
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

जोश्ज्यूका का काकड़ लझोड़
बिस्टज्यू को आड़ूक बाग
पन्त्ज्यू का पूलम नि छोड़
नेगिज्यूका खेतम पड़य़ू उजाड़
दिन भर म्यरा रोंते में कटी जाछि
भोते भल छि हो म्यरा ठाटबाट
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

भीजी शिसूण हाथम दंड
महेश मास्सेप भोते खतरनाक
चुलगम मेल चिपकाय कुर्सी में
चप से चिपक गयी मास्साप
सब नान्तिनुले दोड़ लगे दे
भूभी कूटिगो घुस्स लात
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

घटेकी घर घर द्यारे कि सर सर
पल भाखेयी कुकुरोक टीटाट
शिटोवे कि चू चू बिरावे कि म्यू म्यू
पार तली गाड़क सरसराट
डरक मारी हगभराछी
ब्याव पड़ी सुण बागक घुरघुराट
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

ओ रुपली शौज्यूकी चेली
दिन रात रिटछ्यू त्यर आसपास
नि के सकियू आपुणे मनेकी
तुगे देख म्यर लकलकाट
खुबे नाँचीयूँ द्वी ढक्कन पिबेर
जब मोहनदा लायीं त्यार घर बरात
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

कां रेगो गौं कां रेगे गाड़
कां रेगो काफल कां तिमिल्क पात
कां रेगे रुपली कां ऊक फरफराट
कां रेगेंयी दगड़ू कां उनर बोयाट
रात अधरात क्याप जस लागों
गाव् भरी जां, आँख भिज जानि
जब ऊँछी गौंकी परदेश में याद
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद।

शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

तीन दोस्त

🤝🏻तीन दोस्त अमेरिका में होटल में ठहरे (75 Floor) मंजिल में कमरा मिला। 

रात बारह बजे लिफ्ट खराब होकर बंद हो जाती हैं,

 सीढ़ियाँ चढ़ते बोरियत दूर करने के लिए एक ने एक लतीफा सुनाया और पच्चीसवीं मंजिल तक आ गए।

 दूसरे ने गाना सुनाया और अब वे पचासवीं मंजिल तक आ गए। 

और तीसरे ने बीमारी सेहत पर किस्सा सुनाया और अब पचत्तरवीं मंजिल पर आ गए।

 कमरे के दरवाज़े पर पहुँच कर याद आया कमरे की चाबी तो Reception पर भूल आए हैं तीनों बेहोश होकर गिर पड़े।

*सबक*

इंसान अपनी ज़िन्दगी के पच्चीस साल खेल कूद, हँसी मज़ाक और फज़ूलियत में ज़ाया कर देता है।

 अगले पच्चीस साल नौकरी, काम धंधे, शादी, बच्चों और उनकी शादी में गुज़ार देता है।

और 

अब पच्चीस साल अगर ज़िन्दा रहे बीमारी, डॉक्टर, और हॉस्पिटल में चले जाते हैं,

मर गए तब पता चलता है कि परमात्मा के दर की चाबी तो लाएँ ही नहीं हैं, वो तो दुनिया में ही रह गईं है।

*सुमिरन एंव नेक कर्म* 
परमात्मा  के दर की चाबी है।

 आएँ मानवता हित मे कुछ अच्छा करें हम, आओ रोज सुमिरन करें हम

      .....🙏🚩🙏.....