"अ आ क ख वाले मास्साब "
********************
याद करता हूँ अक्सर
अपने पहले मास्साब को !
माँ छोड़ गई जब
बहला-फुसला कर
और भाग गई घर ।
रोए ,बहुत रोए
कई दिनों तक रोते रहे ।
वो डराता ,मजाक करता
मेरी नाक साफ करता !
पर मैं उससे दूर रहता ।
जाने कितनी बार
जड़ दी उस पर
कोमल हाथों की थप्पड़ !
कितनी बार अड़ा
कितनी बार लड़ा ।
जितनी गालियाँ थी
सब उस पर उडेल दी ।
पर सब खाली !
रंग लाई उसकी मेहनत
उसकी रखवाली ।
मैं खिलकर फूल बन गया
और वो बना रहा माली ।
उसकी मेहनत के दम पर
मेरे जीवन में उजियारा है
वो अ आ क ख वाला शिक्षक
आज मुझे सबसे प्यारा है।
💐💐शंकर जोशी 💐💐
शिक्षक दिवस की बधाई ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें