सोमवार, 5 जून 2023

शंकर दत जोशी जी पर्यावरण कविता

आने वाले समय में
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हो सकता है आने वाले समय में
बादल बरसों बाद बरसें
और हम पानी के लिये तरसें
या रोज बरसात हो
महीनों बाद सूरज से मुलाकात हो
जंगल किताबों में मिलैं
शेर बाघ ख्वाबों मैं मिलें
जंगलों के जलते जलते
बुरांश इतिहास बन जाय!
और काफल सिर्फ का फल? रह जाय
आने वाले समय में हो सकता है
हिमालय पिघल के गंगासागर को चल दे
नदी नाराज होकर अपना रास्ता बदल दे
हो सकता है आक्सीजन वायुमंडल को
बाय बाय कर जाय।
और सांस लेने को केवल
कार्बन डाइ आक्साइड रह जाय
हो सकता है जनसंख्या यों ही बढ़ती जाय
और जंगल घटते जाय
लोगों को छतों मैं फसल उगानी पड़े
एक टाइम रोटी बने और दस टाइम खानी पड़े
हो सकता है डीजल पेट्रोल सूख जाय
और महंगी कार वालों का घमंड टूट जाय
एक दिन में कई बार बादल फटें
हो सकता है पहाड़ अपनी जगह से हटें
हम हर बार पेड़ लगाते हुए फोटो खींच
पर्यावरण दिवस मनाने का नाटक करें
नेताओं की धुआं छोड़ती गाड़ियां
सीएफसी की चिमनी लगी अटारियां
सब खतरों से बचना है तो
अभी समय है आगे आओ
आने वाली नश्लों के लिये
 अपना पर्यावरण बचाओ।।
अगर पर्यावरण बचाना है तो 
जनसंख्या पर रोक लगानी है
प्रकृति पर दबाव घटाना है तो
जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना है
नीति निर्माताओं सावधान!
तुम्हारे लाड़ले तब राजनीति करेंगे
जब वो जिंदा रह सकेंगे ।
अब तो बात गले तक आई
पर्यावरण दिवस की बधाई।।

*********शंकर जोशी ********

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