गुरुवार, 17 अगस्त 2023

श्री हिरा सिंह अधिकारी जी की रचना

घय्यौं सकरांत 

पैकैटूँ में दूध  डबां  में घय्यौं  छु 
बोतल में पाणि फ्रिज में ह्य्यौं छु 

ठंडी हाऊ ऐसीक  पौन पंखक छु 
क्वाटर  भितेर पहाड़क ठंडक  छु 

पाख नहैं याँ क्वै न हमर पाल छु 
यौ हमर कुकड़ी क्वठांक हाल छु 

दीवाल पार ग्वेल ज्यूक फ़ोटो एक टांगी छु 
कैलंडर दौहर शराबक  दुकानम बै मांगी छु 

कैलंडर न महण,न पैठ,न सकरांत बताणी छु 
बोतल जॉस हीरोइन गं हिसते हुए दिखाणी छु 
रम  दा  घर  बै पैठ-अपैठ  बताणी छु 
सुणाई में आम रौ उ लै दिल्ली आणी छु 

हमर तो जम्मै घर बै चलणी छु 
व्हीक है बे भ्यार के न फलणी छु 

हमर छोड़ो हाल आपुण सुणाओ 
घय्यौं कतु है रौ सकरांतम बताओ 

गोर-बाछी सब बियै गन्हाल 
कां घरूँ घयौं-कां धरूँ घयौं सब बाखइ वाल कन्हाल 

ठंगरी साग दगै नौणीक ब्याल हनाल 
छां गं उमाई लियो बुढ़ी-बाढ़ कन्हाल 

चौमास छु ज़रा ध्यान धरिया 
गोठपन क्षीर फुट जैं ख़्याल करिया 

तुमाड़ बीं धरहं आइ बनै दिया 
दी-चार  लौकि-मासक बड़ि मिहं बचै दिया 

छुट्टी मिलला जब्अ घर पक्क औंल 
खीर पड़यांल काटणी एैबे खौंल 

सुणो ! हमर के छु हमर बजारक चल रौ 
आदुक नगद में छु आदुक उधारक चल रौ 

एक पाव घय्यौं यैं बै मोल ल्यौंल 
फ़ेसबुक पार पजै हैप्पी सकरांत कौंल 

हम पैकटी है गईं, तुम पकैटी नि हया 
घरक घय्यौं लिबेर शुभ सकरांत कया 

घरक घय्यौं लिबेर शुभ सकरांत कया । 

हीरा सिह अधिकारी

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