पैलिका होय जब बनछी तब
बुरुसी को फूलों को कुमकुम मारो
डाना काना छाजि गै बसंत नारंगी!!
(आब जब होय बनन तो शैद यास)
चारो तरफ जंगोन भणि री
पेड पौध जलि री जंगोव हमारा
सवा पेड़ों की है र छी भरमारा
बाजे पेडों का नान नान बोटा
बूनों ले लाल है रे छी धरती हमारी
आग लागी बै धुवार फूकि री
सवा पेड़ों की है र छी भरमारा
बाजे पेडों का नान नान बोटा
अल्ले बटि है गै पाणिक मारमारा
उनि वाल टैम मे पाणिक हाहाकारा
जल जगंल जमीन बचावों
घर बण सब झणि कुछ त जतन करा हो।
आपूं सबों के होली की हार्दिक शुभकामनाएं
रचना- देव सती (पहाड़ी बटोही)
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