फूलदेई छम्मादेई
********"**** दीवान सिंह कठायत.
धुर जंगल खिली बुरांशा
गाड़ खेतन प्योलि आल
इजुली मेरी प्योलि ले आली
बापुजी बुरांशा लाल- लाल
आरे ऋतु बहारों की
ओहो फूलदेई को त्यार
देली- देली मा फूल डालूंलो
फूलो फलो भरो भनार
नाइधोई टिक लगायो
डालि धरि मैंले फूल
संग- संग मा संगज्यू का
गयूं घर-घर डालन फूल
आमा जेड़जा काकि भौजाई
बुबु ददा काका ओ बैणी भाई
फूलदेई छम्मादेई - फूलदेई छम्मादेई
चावल गुड़ रूपयां पाई झोली भरी हाली
गुड़ होली चहा टपकी चावलों साही बलूंन
बटुवा माजा धरि रूपयां खूब धनवान बणून.
प्रधानाध्यापक ,राआप्रावि उडियारी, बेरीनाग.
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