बुधवार, 9 अगस्त 2023

कवियत्री अंकिता पंत जी की सुंदर पंक्तिया

बेशक खुशियां चुनने पहाड़ आओ 
अपनी ख्वाहिशें भी तुम साथ लाओ
मगर एक गुजारिश है आपसे 
शहर की हवा यहां मत फैलाओ 

चुल्हा जलता है यहां मिट्टी से लिपा जाता है 
उस मिट्टी की सुगंध पर,टाइल्स की परत ना चढ़ाओ 
एक गुजारिश है आपसे
शहर की हवा यहां मत फैलाओ

मंदिर एक जगह नही, पूरा  घर बन जाता है 
उस मंदिर को एक कोने में मत बसाओ 
एक गुजारिश है आपसे
 शहर की हवा यहां मत फैलाओ 

अवसाद कम करे ये मौसम कहां  है 
सुकून की पहली ,आखरी परत यहां है 
मगर दृश्य दुर्लभ हो जाये,इतने आधुनिक न बन जाओ 
एक गुजारिश है आपसे 
शहर की हवा यहां मत फैलाओ 

आशियाने हमारे साधारण है 
रहन सहन साधारण है 
वास्तविकता की सरलता में,अश्लीलता की परत ना चढ़ाओ 
एक गुजारिश है आपसे 
शहर की हवा यहां मत फैलाओ।
                    अंकिता पंत बिष्ट ✍✍
PC.credit - Gautam 

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