गणेश ज्यू तुमर रूप छ निराला,
कोटि सूर्यक छ तेमे उज्यावा
सिंदुरलाल चढ़ाय अपण मनक
सुन्दरलाल विराजेछा
सुतगौरी-शिवका
हेगणपति तुम सबन के दुःख दूर करिया
संकट में हम सबोंक रक्षा करिया
ग्ञानी दानी तुछै सिद्धिदाता,
सबुक लिजी तु प्यार बरसुछा
हाथ में लिई लड्डू प्रभुगजानन,
सब भक्तोंके मिलो त्यर दर्शन
हर गुण बे पूर्ण छा हे शिवगौरीनंदन,
तुकै भायो कुमकुम केसर चन्दन
मोतियोंक माव चमकि त्यर गव पर,
खुशि लहरए सबुके द्वार पर
जय श्री गजराज विद्यासुखदाता,
गणपति बप्पा तु छै विघ्नहरता
त्यर दर्शनल मिलजै जीवन में सफलता,
झुकाबे सिर त्यर खुटामें मिले प्रसन्नता!
देव सती
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