शनिवार, 18 मार्च 2023

प्रकाश पाण्डेय जी की रचना

*🦚🎋यस हुंछ बसंत🍁💐*
न्हैगे बसंत पंचमी, होइ लै न्हैगे, 
      न्हैगो फुलदेई क फूलों क त्यार! 
ऐगे भेटोई आब् पुरि पू पकाल, 
       चेलि बेटि आलिन मैताक द्वार !! 

गाड़ाभिड़ां पन हैरौ हरियो घा, 
       गोरु बाछ् खै बेर लागि रईं उगार ! 
ग्यौं जौं बालाड़ पौषण लै रईं ,
       राड़ सरसों कि लै हैरै छ भरमार !!

बांजाक् डावां में पौव ऐ रौछ , 
        बणूँ बणूँ में फुलि रईं बुरांश हजार ! 
सम्यो गुलबनफ्स खुशबू दीणईं,
       आरु आल्पोखरै कि माया अपार !! 

आम पौंय मेहव सब फुलि रईं ,
          बनस्पतिनक् खुलि रौछ भन्डार !
सुरसुरू पौन चलण लागि रै छ,
         ना कैं बर्ख न कैं छ कच्यार !! 

गुणि बानर चाड़ पिटंग आश् में छैं, 
         पाकलि यो फसल होलि बहार ! 
नि रई कुड़ि बाड़ि बजीण गाड़ भिड़, 
       प्रकाशल् छोड़ि दी आपण घरद्वार !!
              *प्रकाश पाण्डेय* 
             *कनखल (हरद्वार)*

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