गुरुवार, 7 मार्च 2024

शिवरात्री

ॐनमःशिवाय

 नंदीगण नतमस्तक सन्मुख, नीलकंठ पर शोभित विषधर,

मूषक संग गजानन बैठे, कार्तिकेय संग मोर खड़े॥

 सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर, सुंदरता चहुंओर भरे,

अंतर्मन से तुझे पुकारूं, हर हर हर महादेव हरे
पीड़ित जन हम युगों-युगों से, आकर तेरे द्वार खड़े,

जितना भोला मुख मंडल है, उतना तीखा भाला है।
असुरों को बींधा हर युग में, मुख पर विष का प्याला है॥
सुना है तूने राम-कृष्ण के, उतर धरा दुःख दर्द हरे,

सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर, सुंदरता चहुं ओर भरे,

अंतर्मन से तुझे पुकारूं, हर हर हर महादेव हरे॥

जन-जन के हृदय में बसे हो, पशु-पक्षी के प्राणनाथ हो,

शत-शत नमन्‌ त्रिलोकी तुमको, जय जय जय पशुपतिनाथ हरे।

सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर, सुंदरता चहुंओर भरे,

अंतर्मन से तुझे पुकारूं, हर हर हर महादेव हरे॥

आप सभी पर महादेव जी की कृपा बनी रहै हर हर महादेव
देवसती पहाडी़ बटोही

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