घट जस रिटनैं रयु
भाग जस बाटिनैं रैयु,
फितड़ जस घुमनैं रयु
डव्क जस भरिनैं रयु।
घटपन आनैं रयु
घटापार जानैं रयु,
पीसी जस शुकिल हैबै
इथां-उथां उड़ानैं रयु।
पन्यावक पाणि जस
तेज बहते रयु,
यों फितड़ां पर टकरै बै
घटक पराणि गैं नचाते रयु।
** महेश रौतेला
* आब घट(घराट) लगभग भौत कम हैगयि!
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