क्यें छ य फूलदेई
मै बोल्यूं पुरुखों क विरासत
पहाडी़ लोकपर्व छ फूलदेई.
मैं नी हय हैरान भ्यार देश क दगडी छ
क्यें जाणछी फूलदेई
तब मैं
ऑखी बंद कर बैर आपण बचपन मे न्हैं गयू
चैत बटिक बैशाखी तक
रंग रंगिल फूल चुन बैर
दैण बुरांस प्योलि क नान कलि चुन बैर
उमड़ घुमण गीत गाछीं
फूलदेई फूलदेई फूल फूल
तुमार धैयी द्वार मे उने रुल
पूर चैत मास फूलदेई
तैतीस प्रतिशत क दौड़
निगल गै बचपन गीत
उनी वाल पीढीं अंजान हैरान
परशान शर्मिदा छ फूलदेई
बस फेसबुक वटसप मे जिन्द छ फूलदेई
आपूं सबों के आशीष संस्कार मंदिरों क घंटियों जस पवित्र पहाडी़ त्यार फूलदैई क भौत भौत बधैं
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