सोमवार, 4 मार्च 2024

श्रीमान तारादत तिवाडी़ जी की रचना

आहा कास छी हम
   आब कास है गयूं
भरि पुरी परवार
   फिर लै एकलै जास रै गयूं
पास पडौस
  आब 
    आब पराय जास लागनयीं
शकर ढेपु वाल
    एकल कट्टू है गयीं
बुलांण लाग रयीं
  बात
   बात उनार स्यूड जास 
     बुडंन लाग रयीं
धौड़ दगौड़
   पर निरै भरौस
आपण पीड़
    सबनंहै ठुलि
दुहरेकि पीडेकि नि
    लागनै मणी लै कसक
डबल /ढेपु
 डबल आब रिस्त है ठुल हैगो
देखंन
 देखंने मनखी कतुक बदयी
   भौत बदयी गो //
तारा दत्त तिवारी
हरत्वाव नैनताव बटिक

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