बसंत:
तुमलै हिटला, हमलै हिटुल
य बसंत गैं भेटिबै औंल,
कुछ फूल तुम टिपला
कुछ फूल हम टिपुल,
प्योलिक फूल जस सजि बै
यों टोपरां गैं भरि भरि ल्योंल,
भाल दिन एसिकै आनि
पिल,निल हर रंग में सजनि।
आंख आंखांमें बसि य बसंत
तुमर वति लै आल,
हमर वैति लै आल।
हिमालय लै खिल गो
अकाश में छै बै
डाव- बोटियों में प्राण अयि गो।
हिमाला तु चानैं रैयै
हर बसंत गैं ढूंढनैं रैयै,
जां म्यर गायि, त्यर गायि छु
कान लगै बै सुणि रैयै।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें