शनिवार, 17 दिसंबर 2022

अंकिता पंत जी की कविता

दो जोड़ी उम्मीद 

एक दिन ऐसा भी वक्त आयेगा 
जो तेरी सारी असफलताओं से टकराकर 
तेरे सारे सपने साकार  कर जायेगा 

उसे लोग बेशक किस्मत,चमत्कार जैसे नाम देंगे
पर तेरे पीछे खड़े वो दो जोड़ी हाथ कहेंगे 
हमें विश्वास था ,तू करके दिखायेगा 

सारी दुनिया खिलाफ होगी 
लोगों का स्नेह भी कम नजर आयेगा 
मगर वो दो जोड़ी आंखें कहेंगी 
हमें अहसास था,हमारा बच्चा सपना सच कर जायेगा 

कोई रास्ता भले रोक ले
संदेह भरी नजर से भले देख ले 
मगर वो दो जोड़ी पैर मजबूती देकर कहेंगे
हमें गर्व है था तुझ पर तब भी 
है आज भी, तू सच्चाई महसूस करायेगा
तू सपना साकार कर जायेगा।
       अंकिता पंत ✍✍

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