शनिवार, 24 दिसंबर 2022

कभै पहाड़ उनै धै

आदरणीय श्री तारा दत्त तिवारी जी के श्री मुख से पहाड़ के प्रति प्रेम प्यार का चित्रांकन 🌹🙏🏻🌹

कभै पहाड़ ऊंनां ध्यैं..…

🙏🏻 मुलुककि नरै,  बुड़-बाड़िनक् आशीर्वाद ,दगड़ि़नक् आस् 🙏🏻

🌹🙏कभै पहाड़ ऊनां ध्यैं 🙏🌹

कभै पहाड़ ऊनां ध्यैं ।
हरीं साग-पात,कद्दू-लौकी है रईं,
तुमोर बाट चान-चान आंख नि सै रई,
धिनालिकि बहार आ रै,
पार दाज्यूकि ले भैंसी ब्यारै,
थ्वाड़ दिन त दूध-दै-छां चाखि जानां ध्यैं ।
कभै पहाड़ ऊनां ध्यै ।
बाड़-बोटनमें फल लागि रईं,
हमार त दांतै नि भै खालि चै रईं,
कतू भल काकाड़ाक बोट है रईं,
बाड़ौ में जै बै काकाड़ाक छुन बुकूना ध्यैं ।
कभै पहाड़ ऊना ध्यैं ।
हिसालू-किल्मोड़ी हैरै,
काफलौंकि बहार छा रै,
नींबू-नारिंग-पुलम-खुमानि ,
आ बैर चाखि जानां ध्यैं।
कभै पहाड़ ऊनां ध्यैं ।
हरी-भरी डाना-काना,
खै जानां नींबूसाना,
नानछनाक दगडि़न कैं,
कभै भेटि जानां ध्यैं ।
कभै पहाड़ ऊनां ध्यैं ।
ईजा-बौज्यू ,बुड़-बाड़ी ,
धुंधलि हैगै आँखों की तारी,
फाटि गयीं लुकुड़ सब,
थ्वाड़ नयीं ल्यूनां ध्यैं ।
कभै पहाड़ ऊनां ध्यैं ।
कि?कभै नि ऊनीं याद,
ततु लागि रौ परदेश स्वाद ?
थकि गया हुनाला आ बेर,
थ्वाड़ दिन पटै बिसूनां ध्यैं ।
कभै पहाड़ ऊनां ध्यैं ।
कभै पहाड़ ऊनां ध्यैं ।  

अशोक कुमार पंत 
   (अभ्यासी)

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