शनिवार, 17 दिसंबर 2022

श्रीमान महेश रौतेला जी की कविता

हिमाला तु साजि है जैयै
दैब्त यैंला,दैब्त नैह जैंला
हिमाला तु साजि है रैयै।

य बद्री य केदार छु
य जागेश्वर य बागेश्वर छु,
यां सोर घाटि,यां गेवाड़ छु
द्यब्तु कि भूमि सिरांणें छु।

पांडवों कि बात यां कनि
स्वर्ग जांणि बा ट यां बतानि,
हरि सुकि घा काटण में
घस्यार यां गीत भा ल गानि।

कतु दिन मैंल बिताइ
कतु दिन तमूल बिताइ,
निखरि तुम लै ग या
निखरि मैं लै ग य।

हिमाला तु बासि झन हैयै
नक भल चलते रौं,
सड़ि-पड़ि बगि जां
हिमाला तु बासि झन हैयै।
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* महेश रौतेला

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