हिमाला तु साजि है जैयै
दैब्त यैंला,दैब्त नैह जैंला
हिमाला तु साजि है रैयै।
य बद्री य केदार छु
य जागेश्वर य बागेश्वर छु,
यां सोर घाटि,यां गेवाड़ छु
द्यब्तु कि भूमि सिरांणें छु।
पांडवों कि बात यां कनि
स्वर्ग जांणि बा ट यां बतानि,
हरि सुकि घा काटण में
घस्यार यां गीत भा ल गानि।
कतु दिन मैंल बिताइ
कतु दिन तमूल बिताइ,
निखरि तुम लै ग या
निखरि मैं लै ग य।
हिमाला तु बासि झन हैयै
नक भल चलते रौं,
सड़ि-पड़ि बगि जां
हिमाला तु बासि झन हैयै।
****
* महेश रौतेला
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें