द्वी जून क रव्टा लिजी
खून पसीन बगा रौ
चा रौ सुकून दिन भरि थकान बटिक
घर बटी न्है जारि
द्वी रव्टा कमूहूनी
बैहाल हैरों मनुज
हालातों क सामणि
द्वी जून क रव्ट
दिनोंदिन चिंता खा रै
बढी हुई महंगाई आंख दैखुरै
रव्ट कपड़ मकान
चंद सांसों क डोर
जिंदगी भागदौड़
ना कई चैन ना कई ठौर
दुनि गोल मटोल
कई म्वाट कई पतल
घ्यू लगाई सबूकें चै
यू रव्ट क्यें क्यें खैल दिखै
क्वें परदेश जारौं
नौकरी हजूरी लगारौं
आंधी तूफां सर्दी सह बैर
द्वी रव्ट कमारौं
रव्ट मतलब मिहनत
स्वाभिमान ल भरपूर
प्रेम पूर्वक रव्ट कमाऔ
रौं जग मे मशहूर!
द्वी जून क
रव्टा लिजी
कतूक पापड़ बैलन पडनी
हम सब जाणनूं
आपूं चाहै सैठ छा या गरीब
द्वी जून क रव्टा लिजी प्रयत्न करण पडनी
मजदूरों कें आज द्वी रव्टा क फिक्र छ
य चक्कर मे रोज मजदूरी करू
खून पसीड़ एक करु
तब जै बैर द्वी रव्टाक प्रबंध हूछ
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