जय श्री राम
जीवन के नाटक में लीला
हर प्राणी को निश्चित करनी
मूल तत्व ज्ञानी कहते हैं
जैसी करनी वैसी भरनी.
हम तो केवल नाच रहै है
कौन शक्ति जो हमें नचाती
यह लीला नर्तक के मन में
समझ नहीं जीवन भर आती.
बिना आप सभी के सहयोग प्राप्त कर
रामलीला कैसे सम्भव हो जाती.
हे हनुमत उर प्रभुमय कर दो
मन की बीणा के तारों को.
त्रैतायुग की संस्कृति को भी आगे चलते रहना है.
हे नवयुवक जागृति दल के सभी सदस्यों रामनाम यूही
जपते रहना है...
जय श्री राम
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