बुधवार, 25 सितंबर 2024

Nyjd

जय श्री राम

जीवन के नाटक में लीला
हर प्राणी को निश्चित करनी
मूल तत्व ज्ञानी कहते हैं
जैसी करनी वैसी भरनी.

हम तो केवल नाच रहै है
कौन शक्ति जो हमें नचाती
यह लीला नर्तक के मन में 
समझ नहीं जीवन भर आती.

बिना आप सभी के सहयोग प्राप्त कर
रामलीला कैसे सम्भव हो जाती.

हे हनुमत उर प्रभुमय कर दो
मन की बीणा के तारों को.

त्रैतायुग की संस्कृति को भी आगे चलते रहना है.
हे नवयुवक जागृति दल के सभी सदस्यों रामनाम यूही 
जपते रहना है...
जय श्री राम

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