मूर्तियोंक विसर्जन तुम चुप किले छा»
रौल गध्यारों किनारों पर
देखो मैल देवी मय्या क मूर्ति विसर्जन
पर यू गध्यारों मे उ ताकत का
उ किनार लगै द् यू
खंडित प्रतिमा
आदू काटि ख्वर
टूटी चूड़ि
बिखरे बाव
फटी चुनरि
स्वास्तिकाक सुसज्जित कलशों क
खंड-खंड
फट री मय्या क वस्त्र
एक ओर लाग री
मय्या क जयकारा
तो कथैं पड़ी रे मय्या क मूर्ति निर्वस्त्र
धर्म क नाम पर
य कस काम
माँ दुर्गा क य कस सम्मान?
जो मूर्तिक पूज पाठ करि
सम्मान दि
माँ-माँ कै बैर
पुत्र हून क मान दि
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
क जाप कर
तुमि आदि शक्ति
शक्ति स्वरूपा छा
म्येरि जीवनदायिनी
कल्याणमयी मय्या छा
फिर किले मय्या क विसर्जन
किले निष्कासित
इतू अपमानित।
कब तक चलल
य पाखंड?
स्त्री शक्ति क उपहास
स्त्रीयूक क मानमर्दन
मूल्यों क हृास
आओ मिलकर करुल य संकल्प
अब नि करुल मय्या विसर्जन
उके प्रति वर्ष संवारुंल
नई रंगोंल सजोंल
क्येलेकि मय्या न्हैती विसर्जन छवि
छ प्रेम प्रतिष्ठा क अक्षय निधि।
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