[17/09, 2:57 am] D sati: तकनीकी कला क जो छ ज्ञाता,
देवालय, शिवालय क छ विज्ञाता।
सत्रह सितम्बर छ जन्म दिवस,
कहलुनी शिल्पकला क प्रज्ञाता।।
कला कौशल में निपुण छ,
बनए सुने क लंका!
विश्वकर्मा भगवान छ,
सबैं देवों क अभियंता।।
शिल्प कला क जो छ ज्ञाता!
विष्णु वैकुंठ क छ निर्माता!!
कूनी हम सबूं के प्रभु द् यो ज्ञान!
क्येलकि हमें क्ये नी आन!!
पृथ्वी, स्वर्ग लोक क भवन बनाइ!
विष्णु चक्र, शिव त्रिशूल तुम्हू बै पाई!!
सब देवन पर करि कृपा आप भारी!
पुष्पक दी कुबेर के हइ उ विमान धारी।।
इंद्रपुरी, कुबेरपुरी और यमपूरी बनाइ!
द्वारिका बसे बैर कृष्ण ज्यूक प्रिय कहलाइ!!
तुमार बनाइ कुंडल के धारण कर बैर!
दानी कर्ण कुंडल धारक कहलाइ!!
विश्वकर्मा ज्यू छ पंच मुख धारी!
करनि उ हंस क सवारी!!
तीनों लोक, चौद भुवन मे!,
सब करनी उनरी जय जयकारी!!
[17/09, 3:10 am] D sati: विश्वकर्मा जयन्ती पर कविता
सृष्टि क रचयिता ,
महान शिल्पी ,
विज्ञान विधाता ,
भगवान विश्वकर्मा ज्यू के प्रणाम |
स्यूड़ बटी साबौं क सम्मान करो
बस मन लगै बैर क्यें काम त करो ,
रत्ति बै ब्याव करो ,
बस मन लगै बैर काम करो |
हाथो में हुनर छ तो सम्मान मिलोल
खाली नी भै रौला कें ले काम मिलोल
इंतज़ार करेगी दुनिया आपूण
काम कर बैर दाम मिलोल
भले ही नी मिलेलि सरकारि नौकरी
पर हुनर क पूर दाम मिलोल
यैक लिजी पढा़ई क दगड़ दगडै़
क्यें काम ले सीखो ,
देव विश्वकर्मा का ध्यान करो ,
जग में अपूण नाम करो |
||जय बाबा विश्वकर्मा ||
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