गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

विलुप्त होती विवाह परम्परा

विलुप्त होती उत्तराखण्ड विवाह की परम्परा 
पहले उत्तराखण्ड विवाह में सब मिलकर बर्तन इकट्ठे करते थे क्योंकि बुजुर्गों ने एक एक पैसे इकट्ठा करके गांव में कमेटी बनाई थी जिसमें हर घर का सहयोग होता था हर महीने एक दिनांक को गांव के एक घर में कमेटी होनी जहाँ हर घर से एक मेंबर ने जाना कमेटी में सभी ने पैसे जमा करने जैसे जैसे पैसे इकट्ठे होते जाने विवाह के लिए बर्तन खरीदना शुरू कर दिए ऐसे करते करते गांव में विवाह के लिए जरूरत वाले पूरे बर्तन इकठे हो गए उनको इकठे रखने की समस्या आने ही नही दी बुजुर्गों ने उनका आसान सा रास्ता निकला दिया कि हर घर में एक एक बर्तन रखा जाएगा और उसकी देख भाल भी उस घर वालों की होगी जब गांव में विवाह होना कमेटी से पूरी लिस्ट लेकर घर घर से बर्तन इकठे  करने खुद ही साफ करने विवाह में पता ही नही चलना कब कौन सा काम कोन कर गिया ऐसा लगता था कि जैसे अपने घर का विवाह है खट्टी मीठी बातें होनी मौज मस्ती करते हुए सब विवाह को एन्जॉय करते जिस घर में विवाह होता उनको पता ही नही चलता था कि कोई कमी पेसी रह गई है विवाह में बर्तन सारे आपस में मिलकर हंसी मजाक में साफ कर देते थे जिसको बाद में खास पकवान बना कर मस्ती करनी लेकिन समय के बदलाव के साथ धीरे धीरे परम्परा बदलती गई आज बर्तन साफ करने के लिए कामा करना पड़ता है विवाह में घर घर बर्तन इकठे करने नही जाते है अब टेंट वालों से केटरींग ली जाती है भारी रकम देकर कच्चे चील के चलाफू से स्वागतम् द्वार बनाया जाता था तब टेंट की जरूरत नहीं होती थी कुदरत से सब कुछ मिल जाता था कच्चे चील के चलाफू बड़े अच्छे थे आज के महंगे टेंट से पत्तल में खाने का मजा ही अलग था तेलिया माहं दा सुबाद कने काले चने दा खट्टा चटपटा कन्ने आना फिर मीठा बत्त मिंजो थोड़ा ज्यादा आ जाने कि आस होना दोस्तों का शादी में दिल खोलकर काम करना सब रिश्तेदारों ने पूछना ऐह कुन है बड़ा काम कर रहा है बड़ा अच्छा लड़का है बारात आने पर चाय की चरोटी गर्म करनी फिर दुनु च बूंदी सेयियां डाल कर देनी अब तो महंगी चीज़ों में भी बूंदी का सूबाद नहीं आता है बड़े बड़े घड़े सुरा दे लगाए होने चाटकी होनी 
बुजुर्गों ने हमे बचत करनी ओर मिलजुल कर रह कर एक दूसरे के काम आने के लिए यह शिख दी आज भी बहुत से गांव में बुजुर्गों की बातों को जिंदा रखा हुआ है जो कि नई पीढ़ी के लिए एक अच्छा संदेश भी है उनको सीखने और एक होकर रहने के लिए क्योंकि आज हमें अपने बच्चों को बताना होगा कि कैसे हम विवाह में पैसे कम होने पर भी एक दूसरे की मदद करते थे और कर रहे है कितनी बचत बुजुर्गों दुबारा इस परम्परा से हमे दी गई है सोचना तो पड़ना है एक दिन .....

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