" म्यार घर राम आ रई "
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(कुमाऊँनी भजन)- दीवान सिंह कठायत
आ रई -आ रई -आ रई, म्यार घर राम आ रई।
खिलि गयीं -खिलि गयीं -खिलि गयीं,धनभाग म्यारा खिलि गयीं।।
बजाओ -बजाओ तुमि, जोर -जोरूं ले ढोल
सजाओ -सजाओ म्यारा, फुल पाती ले मोल
ओ दिदी -ओ भुली, नानू ठूला सयांणा
आई रै बहार देखो, राम ज्यू कारणा
है रयीं -है रयीं -है रयीं, मनैकि जसि है रयीं।
खिलि गयीं .................... ।।
शबरी सो भगत छूं मैं, सीधो पहाड़ी मैस
न छल कपट मन, इक उनरी आश
आब् वों बिराजि गैना, अयोध्या ज्यू धामा
म्यारा घरूं में लै आला , छोड़ि अपणो कामा
ला रई- ला रई ला- रई, भाय् भारिया संग ला रई।
खिलि गयीं..................... ।।
भट भूटिया द्यूलो उनन, लसपसिया खीर
मडुवा रोट मा घ्यू धरूंलो, गुड़ कटक चीर
तिमुली का पात बिछून, धोइ- धोइ बेर
भोग लगाओ स्वामी कूंल, हाथ जोड़ि बेर
बिछि गयीं बिछि गयीं बिछि गयीं,भ्यार भितेर दरि बिछिगयीं।
खिलि गयीं................ ।।
प्रधानाध्यापक, राआप्रावि उडियारी बेरीनाग पिथौरागढ।
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