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*🙏उतरैणिक कौतिक✍️*
खुटाँ में झांवर गाव् में गुलुबंद,
नाखन नथुलि कसि चमकी रै ,
आपण उमराका स्वानिक दगडै़,
गौंकि पधानि यसि बमकी रै!!
मसांत ब्यावाक मांसाक बेड़ू,
उतरैणि दिनाका घुघुत छना,
छापरि में ढकिया लगड़ गुटुका,
भैटि बेर खाणईं बगड़ पना,
सासु तुम खाओ दिज्यू आइ ल्हियो,
सबूं का मन में ऊ राजी रै *! खुटाँ में ०!!*
सरयू बगड़ लै कांडाकि सड़क लै,
ताकुलैकि रोड लै भरियै छौ,
गरुड़ दानपुरा का कौतिकार आया,
सासु ब्वारिक् गौड़ लै चैइये छौ,
बाग नाथ ज्यू लै दर्शन दीणईं,
वाँ नौबत घान् लै बाजणी रै *!खुटाँ में०!!*
एक दिन पैलिकै भीड़ जुड़ैं छी,
बरस दिनैकि बरस्योव मनाय,
ठुलां हुणि पैलाग नाना थैं ज्यू जाग् ,
अंग्वाव भेटणईं यों प्रीत लगाय,
क्वे गोरि उजई सांवई क्वे छ,
पौडर क्रीमैल क्वे सानी रै *!खुटाँ में ०!!*
सन् अस्सी की याद उणै छ,
जो लै हमल देख उ सच्ची छौ,
जनन दगाड़ जो प्रीत छी हमरी,
झुटि झन मानिया उ पक्की छौ,
जीरैया बचि रैया संयात भेटिया,
मन में रटन म्यार यै लागी रै *!खुटाँ में०!!*
*🙏🌸जय बागनाथ ज्यू🏵️✍️*
*🙏सबन कणि उत्तरैणि कि बधाई✍️*
*प्रकाश पाण्डेय*
*कनखल, हरिद्वार*
*१३-०१-२०२२*
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