शनिवार, 6 जनवरी 2024

व्याह दिवान सिंह कठायत जी की कविता

कोई व्याह करा दे
**************   दीवान सिंह कठायत। 

पहाडों पर अब विपदा दिख रही
कुवारे रह रहे छोरे शादी कठिन हो रही
कोई करा दे व्याह मेरा, लड़के कह रहे
भरी जवानी बेकार , अकेले बिता रहे। 
बीसवीं सदी के आखिरी दौर का
असर अब  है दिख रहा
बेहिसाब कन्या भ्रूण हत्या का
पहाड़ दंश है झेल रहा। 
नारी सशक्तिकरण शिक्षा जागरूकता
और घट रही जन्म दर 
विषम अनुपात नर -नारी का
ऊपर से पलायन का असर। 
आज शिक्षा लेकर हर लड़की
अपने पैरों पर खड़ा होना चाह रही
शादी कर घर बसाना
बाद की बात बन रही। 
घरेलू कामों से मुक्त होऊं
मैं भी अच्छी नौकरी पाऊँ
लड़की हूँ तो क्या हुआ? 
कुछ करके मैं भी दिखलाऊॅ। 
 सोच ऐसी रखकर कन्याएँ
व्याह से विरक्त हो रहीं
कैरियर बना लूं पहले
अति उत्साही बन रहीं। 
शर्तें रख रहे भारी लड़की वाले
सरकारी नौकरी हल्द्वानी में मकान
व्याह होते सीधे जाएगी भावर
पहाड़ पर नहीं करेगी काम। 
आज के समय में सरकारी सेवा पाना
आसमान के तारे गिनने जैसा है
जो कोई पा गया सौभाग्य से तो
खुद  ही लड़की ढूंढ लेता है। 
जो लव मैरिज के चक्कर में हैं
उनकी ही बल्ले- बल्ले हो रही
बिना लाग लपेट के लड़के को
मनमाफिक ललना मिल रही। 
भटक रहे सीधे- साधे लड़के
माँ -बाप रीति रिवाज मानने वाले
कर रहे हैं जो प्राइवेट नौकरी या धंधा
तरस रहे हैं लड़कियों को पाने। 
भला हर एक को कहाँ सरकारी नौकरी
मिल सकती है ? सोचो जरा
हर परिवार हल्द्वानी बस जाए
ऐसा भी संभव नहीं भुला। 
लव मैरिज सफल ही होंगे सदा
ऐसी भी कोई गारंटी नहीं
नेक मेहनतकश लड़का
किसी देवता से कम नहीं। 
समय से शादी भी है जरूरी 
ताकि गृहस्थी ठीक टाइम से बस जाए
यदि योग्यता है लड़की में तो
शादी के बाद भी उच्च पद हैं कई ने पाएं। 

  प्रधानाध्यापक, राआप्रावि उडियारी ,बेरीनाग पिथौरागढ।

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