गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

भै बैणियों त्यार रक्षा बंधन

रंग बिरंगी मन्क जडि

रक्छा सज गे छोटी बडी़

समेटि धाग मे स्नेह अपार

आ भै बैणियोक त्यार

अटूट बंधन गैर प्यार

क्वै भै बैणी छै घरों मे

क्वै लिखै पंक्ति चार

जो दाद भूली छ सात समुन्दर पार

सबुकै रक्छा बंधनैक शुभकामना छू यार



कविता - देवेन्द्र सती
पपनैपुरी

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