शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

2jun

द्वी जून क रव्टा लिजी
खून पसीन बगा रौ
चा रौ सुकून दिन भरि थकान बटिक

घर बटी न्है जारि
द्वी रव्टा कमूहूनी
बैहाल हैरों मनुज
हालातों क सामणि

द्वी जून क रव्ट
दिनोंदिन चिंता खा रै
बढी हुई महंगाई आंख दैखुरै

रव्ट कपड़ मकान
चंद सांसों क डोर
जिंदगी भागदौड़
ना कई चैन ना कई ठौर

दुनि गोल मटोल
कई म्वाट कई पतल
घ्यू लगाई सबूकें चै
यू रव्ट क्यें क्यें खैल दिखै

क्वें परदेश जारौं
नौकरी हजूरी लगारौं
आंधी तूफां सर्दी सह बैर
द्वी रव्ट कमारौं

रव्ट मतलब मिहनत
स्वाभिमान ल भरपूर
प्रेम पूर्वक रव्ट कमाऔ
रौं जग मे मशहूर!

द्वी जून क
रव्टा लिजी
कतूक पापड़ बैलन पडनी
हम सब जाणनूं
आपूं चाहै सैठ छा या गरीब
द्वी जून क रव्टा लिजी प्रयत्न करण पडनी

मजदूरों कें आज द्वी रव्टा क फिक्र छ
य चक्कर मे रोज मजदूरी करू
खून पसीड़ एक करु
तब जै बैर द्वी रव्टाक प्रबंध हूछ
@देव सती

बुधवार, 25 सितंबर 2024

चिठ्ठी

मूबाईल में उ बात का.चिठ्ठी पत्री मे छी संदेश शक्ति.कागज की खूशबू छी.स्याहिक सुगंध छी.भावनाओं क महक छी.
च्यल कि चिठ्ठी आइ ईजाल ख्वर लगाई.वात्सल्य क श्रंगार छी चिठ्ठी.मुबाइल मे उ बात का
अब चिठ्ठी केवल कार्यालय पत्र
इ मेल पर मेल.कभैं छी चिठ्ठी नौकरी क खुशी.सबैं संदेश गतिमान छ.अब उ महक न्हैति
मूबाइल मे उ बात न्हैति.....

सोल सराद

पित्रपक्ष शुरू होते ही एक बकवास करने की होड़ लग जाती  है कि __________
अपने अपने तरीके से  कुछ अनभिज्ञ पोस्ट ड़ालना चालू कर देते हैं कि_____
 माँ बाप को जीते जी सारे सुख देना ही वास्तविक श्राद्ध है...!! 
 कौवों को खिलाना  ढकोसला है।  【उन्हें शायद ये बिल्कुल भी नही पता होगा की पित्रपक्ष में कौवों को खिलाने से पित्र दोष समाप्त होते हैं।】
क्या जानते हैं ऐसे लोग श्राद्ध के बारे में❓
जो लोग अधूरा ज्ञान रखकर अनादिकाल से चली आ रही  परम्परा का मजाक उड़ाना चालू किया है उस पर प्रश्नवाचक❓चिन्ह लगाकर नयी पीढ़ी को भृमित कर रहे कि ये खोखला आडम्बर है⛔ ये अनपढों की निशानी है।
उनसे ये कहना चाहूंगा  कि श्राद्ध अपनी जगह है और जीते जी  माँ बाप का सम्मान और सुखी रखना अपनी जगह।
जीते जी मा बाप को उनके अंतिम समय तक  आप क्यो न श्रवण कुमार बनकर सेवा करे पर इसका ये कतई पर्याय नही की मृत्यु पश्चात उनको तर्पण की जरूरत नही होगी ,,,,तर्पण की प्रक्रिया तो करनी ही पड़ेगी।
क्योंकि श्राद्ध का वास्तविक अर्थ होता है ____ 
परिवार के वो  सदस्य जो गुजर चुके हैं°  वो दादी दादा हों या चाची चाचा हो अन्य कोई पूर्वज हों या माँ बाप ही क्यो न हो उन्हें पितरों में शामिल करने की एक प्रक्रिया होती है श्राद्ध।।
 और ये प्रथा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के समय से चली आ रही 
इस पूजा का ये कतई मतलब नही की आपने जीते जी अपने माता पिता का जीवन कैसे गुजारा ||  
भले ही आपने उन्हें फ़ूलो की सेज या पलकों पर क्यो न बिठा के रखा हो फर भी उनकी मृत्यु पश्चात उनका तर्पण तो करना ही पड़ेगा।
 और ये वही पितर होते हैं जिन्हें जब घर मे किसी का विवाह होता है तो सबसे पहले इन्हीं का आवाहन किया जाता है ।
 और यह  हमारे सनातन  धर्म की परंपरा है 
इसलिए विनम्र निवेदन है कि  अधूरा ज्ञान रखकर कोई इस पर ज्ञान न पेले🙏

क्ये लेखनू

क्ये लेखनूं
  देवभूमि तू मैं राक्षसों तान्डव लेखूं 
नेताओं विकास लेखूं 
  कर्मचारियों ठगणी नीयत लेखूं 
दगडियो तुमी बताओ 
  आब मैं को एंगल बटिक 
    पहाडेकि को कसि खूबसूरती लेखूं 
    मैं लेखूं त क्ये लेखूं 
बांज गौं मैं कुरी बुज लेखूं 
 टुटी कुड़ी बांज बाडि ख्वाडि लेखूं 
बिन नानौंक स्कूल लेखूं 
खाल्ली सड़केकि पीड़ लेखूं 
बिन मरीजौं असपताव लेखूं 
   मैं लेखूं तो क्ये लेखूं 
एकलै थडि मैं बैठी 
    आम बुबुक कवीड़ कहांणि लेखूं 
बहु गोरबाछनेकि पीड़ लेखूं 
बागौक डुडाट सुंअर बानरनौक उज्याड़ लेखूं 
दगडियो आब तुमी बताओ मैं 
मैं लेखूं त क्ये लेखूं //

श्रीमान सुरेद्र रावत असोज कविता

रचनाकार: सुरेंद्र रावत

असोज के महीने में, काम करते करते।
अपनी बेटी को याद कर रही है एक मां।
अब जिसकी शादी हो गयी है। 
जरा गौर किजियेगा।

छापड़ी में लोहटू र्वट, हाथों में केतली।
मूं गढेरिक साग बणै बै, ल्या धैं मेरी चेली।। 
गिलास भरि बै छां, हां गिलास भरि बै छां। 
मनुवक र्वटम धरि बै दिदे, तीलै की चटणी।।

पाणी पिणक टैम निछ, लैगे चाहा'क अमल।
धारों ठन्डो पाणी ल्यै बे, को मकणी द्यल।। 
गिलास भरि बै चा, हां गिलास भरि बै चा।
मिसरी क कटक दशैं , दिजा तु मकणी।।

छापड़ी में लोहटू र्वट, हाथों में केतली। 
मूं गढेरिक साग बणै बै, ल्या धैं मेरी चेली।।
असोज मैहण लै रौ, धपरी को घाम।
मेरी पोथा तेरि आणै, मकैं भौतै फाम।।

टिमटिमाता पहाड़

" टिमटिमाती धमक चमक में  "" खोयापहाड़ देखा !
  एक चूल्हे ( छिलुक लम्फू) से रौशन !  सारा गाँव देखा !
कहाँ खोया वो एक आवाज ( धात )पर खड़ा साथ पहाड़ देखा कंकरीटो मे दबे पहाड़ की सिसकी सुन सक वो "पहाड़ आखरी बार कहाँ देखा !

अशोज का राशिफल

पहाड़ का मासिक राशिफल

असोज में काम का दबाव रहेगा, विल चार लूट लगें हाली मिल नी लगैराय नी हून चैन और
घाम से मुख लाल रहेगा चटकुर और कूम्मरों को देखकर
बीच-बीच में झ्यांक उठेंगे, रात को दर्द भरी मीठी नींद आएगी।बेवजह ना उलझें।ककड़ी और पानी खाते-पीते रहें, मूरों मच्छरों को पटकाते रहै ,असोज आपूण टैम पर समेरी जाल ज्याद मारमार  झन करिया आपका अशोज शुभ रहै!😝🖐️🖐️🖐️🖐️🖐️

विश्वकर्मा दिवस

[17/09, 2:57 am] D sati: तकनीकी कला क जो छ ज्ञाता,
देवालय, शिवालय क छ विज्ञाता।
सत्रह सितम्बर छ जन्म दिवस,
कहलुनी शिल्पकला क  प्रज्ञाता।।
कला कौशल में निपुण छ,
बनए सुने क लंका!
विश्वकर्मा भगवान छ,
सबैं देवों क अभियंता।।
शिल्प कला क  जो छ ज्ञाता!
विष्णु वैकुंठ क  छ निर्माता!!
कूनी हम सबूं के प्रभु द् यो ज्ञान!
क्येलकि हमें क्ये नी आन!!
पृथ्वी, स्वर्ग लोक क भवन बनाइ!
विष्णु चक्र, शिव त्रिशूल तुम्हू बै पाई!!
सब देवन पर करि कृपा आप भारी! 
पुष्पक दी कुबेर के हइ उ  विमान धारी।।
इंद्रपुरी, कुबेरपुरी और यमपूरी बनाइ!
द्वारिका बसे बैर कृष्ण ज्यूक प्रिय कहलाइ!!
तुमार बनाइ  कुंडल के धारण कर बैर!
दानी कर्ण कुंडल धारक कहलाइ!!
विश्वकर्मा ज्यू छ पंच मुख धारी!
करनि उ हंस क सवारी!!
तीनों लोक, चौद भुवन मे!,
सब करनी उनरी जय जयकारी!!
[17/09, 3:10 am] D sati: विश्वकर्मा जयन्ती  पर कविता  
सृष्टि क रचयिता ,
महान शिल्पी ,
विज्ञान विधाता ,
भगवान विश्वकर्मा ज्यू  के प्रणाम |

स्यूड़ बटी साबौं क सम्मान करो
बस मन लगै बैर क्यें काम त करो ,
रत्ति बै ब्याव करो ,
बस मन लगै बैर काम करो |
हाथो में हुनर छ तो सम्मान मिलोल 
खाली नी भै रौला कें ले काम मिलोल
इंतज़ार करेगी दुनिया आपूण
काम कर बैर दाम मिलोल
भले  ही नी मिलेलि सरकारि नौकरी 
पर हुनर क पूर दाम मिलोल
यैक लिजी पढा़ई क दगड़ दगडै़
क्यें काम ले सीखो ,
देव विश्वकर्मा का ध्यान करो ,
जग में अपूण  नाम करो |
||जय बाबा विश्वकर्मा ||

खतडू़

अमरकोष पढ़ो, इतिहासा पत्र पल्टी
खतड़सींग नि मिल, गैड़ नि मिल!
कथ्यार पुछिन, पुछ्यार पुछिन-
गणत करै, जागर लगा-
बैसि भैट्यूं, रमौल सुणौं भारत सुणौं-
खतड़सींग नि मिल, गैड नि मिल।
स्याल्दे बिखैति गयूं, देवधुरै बग्वाव गयूं,
जागसर गयूं, बागसर गयूं
अल्मोडै कि नंदेबी गयूं
खतड़सिंह नि मिल, गैड़ नि मिल!
तब मैल समझौ
खतड़सींग और गैड़ द्वी अफवा हुनाल!
लेकिन चैमास निड़ाव
नानतिन थैं पत्त लागौ-
कि खतडुवा एक त्यार छ-
उ लै सिर्फ कुमूंक ऋतु त्यार.

हिंदी दिवस

" बारखड़ी ! और नान एक ठुल एक पड़ने वालों को 
हिन्दी दिवस की
हार्दिक शुभकामनायें

मेरा जो तजुर्बा है जिंदगी

मेरा जो भी तजुर्बा है ऐ ज़िंदगी,
मै तुझे बतला जाऊँगा।
चाहे जितना करना पड़े संघर्ष,
मै कर जाऊँगा।
उम्म्मीद क्या होती है ज़माने में
ये हमसे बेहतर कोई नहीं जानता,
कभी आ मेरी चौखट पे,
ये विषय भी तुझे सिखला जाऊँगा।
मेरा जो भी तजुर्बा है ऐ ज़िन्दगी,
मैं तुझे बतला जाऊँगा।
रंग बदल के तु मेरा इम्तिहां ना ले
जीतूंगा मै ही अब हार का नाम ना ले,
सितम का ज़ादू तेरा औरों पे चल जायेगा
उठूँगा हर हाल में अब गिरने का नाम ना ले।
प्यास मेरी थोड़े की नही है जो मिट जाये,
ज़रूरत आने पर ये आसमां भी पी जाऊँगा।
मेरा जो भी तजुर्बा है ऐ ज़िन्दगी,
मैं तुझे बतला जाऊँगा।

Nyjd

जय श्री राम

जीवन के नाटक में लीला
हर प्राणी को निश्चित करनी
मूल तत्व ज्ञानी कहते हैं
जैसी करनी वैसी भरनी.

हम तो केवल नाच रहै है
कौन शक्ति जो हमें नचाती
यह लीला नर्तक के मन में 
समझ नहीं जीवन भर आती.

बिना आप सभी के सहयोग प्राप्त कर
रामलीला कैसे सम्भव हो जाती.

हे हनुमत उर प्रभुमय कर दो
मन की बीणा के तारों को.

त्रैतायुग की संस्कृति को भी आगे चलते रहना है.
हे नवयुवक जागृति दल के सभी सदस्यों रामनाम यूही 
जपते रहना है...
जय श्री राम

सोमवार, 16 सितंबर 2024

१७सितम्बर विश्वकर्मा दिवस

तकनीकी कला क जो छ ज्ञाता,
देवालय, शिवालय क छ विज्ञाता।
सत्रह सितम्बर छ जन्म दिवस,
कह लानि शिल्पकला क  प्रज्ञाता।।
कला कौशल में निपुण छ,
बने सुने क लंका!
विश्वकर्मा भगवान छ,
सबैं देवों क अभियंता।।
शिल्प कला  जो छ ज्ञाता!
विष्णु वैकुंठ क  छ निर्माता!!
हम सबूं के प्रभु द् यो ज्ञान!
क्येलकि हमूकें क्ये नी आन!!
पृथ्वी, स्वर्ग लोक क भवन बनाइ!
विष्णु चक्र, शिव त्रिशूल तुम्हू बै पाई!!
सब देवन पर करि कृपा आपूं भारी! 
पुष्पक दी कुबेर के हइ उ  विमान धारी।।
इंद्रपुरी, कुबेरपुरी और यमपूरी बनाइ!
द्वारिका बसे बैर कृष्ण ज्यूक प्रिय कहलाइ!!
तुमार बनाइ  कुंडल के धारण कर बैर!
दानी कर्ण कुंडल धारक कहलाइ!!
विश्वकर्मा ज्यू छ पंच मुख धारी!
करनि उ हंस क सवारी!!
तीनों लोक, चौद भुवन मे!,
सब करनी उनरी जय जयकारी!!
विश्वकर्मा जयन्ती  पर कविता  
सृष्टि क रचयिता ,
महान शिल्पी ,
विज्ञान विधाता ,
भगवान विश्वकर्मा ज्यू  के प्रणाम |
स्यूड़ बटी साबौं करो सम्मान
बस मन लगै बैर  
काम  करो ,
रत्ति बै ब्याव करो ,
बस मन लगै बैर काम करो |
हाथो में हुनर छ तो सम्मान मिलोल 
खाली नी भै रौला कें ले काम मिलोल
इंतज़ार करेगी दुनिया आपूण
काम कर बैर दाम मिलोल
भले  ही नी मिलेलि सरकारि नौकरी 
पर हुनर क पूर दाम मिलोल
यैक लिजी पढा़ई क दगड़ दगडै़
क्यें काम ले सीखो ,
देव विश्वकर्मा का ध्यान करो ,
जग में अपूण  नाम करो |
||जय बाबा विश्वकर्मा ||