मंगलवार, 18 जून 2024

कयामत के आसार

शीर्षक:कयामत के आसार

तपने लगे सब घर-शहर,
कैसे  होगा गुजर-बसर।
अब बस है एक ही खबर,
लू का कहर,लू का कहर।

गया हो या दिल्ली नगर,
असह्य गर्मी आठो पहर।
जल नहीं ताल,नदी-नहर,
सूख रहे तरु कहर कहर।

तरु काट विकास कर गए,
जलस्रोत भर घर बन गए।
प्लास्टिक से धरा पट गई,
इसी से प्रकृति उलट गई।

खतरे   में  पानी -पहाड़,
उजड़ा जो जंगल व झाड़।
अभी भी चेत जा मानव,
कम हो विकास का दानव।

 सुनो प्रकृति की पुकार को,
 कयामत के आसार को।
नरेंद्र सिंह
19.06.2024

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