रविवार, 16 जून 2024

श्रीमान शंकर दत्त जोशी जी की रचना

💐पहाडों का अमंगल💐
अगर जलेंगे यों ही सारेजंगल 
तो होगा ही  पहाड़ों का अमंगल ।
सूखेंगे गाड़-गधेरे सूखेंगे नौले धारे 
महीना आषाढ़  गर्मी तीस के पार
बारिश न हुए हो जाता है साल
पसीने की तड़-तड़ पर छिड़ा है दंगल ।
अगर जलेंगे यों ही  सारे जंगल
तो होगा ही पहाड़ों का अमंगल ।।
जंगल जलें तो जलें हमारा क्या !
ऐसी जहरीली सोच पली है
बद से बद्तर होंगे हालात
ये तो बस खतरे की घंटी है ।
छोड़ो खुदगर्जी समझो जिम्मेदारी 
वर्ना न जंगल रहेगा न  रहेगा जल
ज़मीन भी सारी हो जाएगी बंजर 
हर गांव का होगा इतिहास का बंडल 
हर दरवाजे पर लगा होगा संगल ।
अगर जलेंगे यों ही जंगल 
तो होगा ही पहाड़ों का अमंगल।।

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