सोमवार, 7 अप्रैल 2025

श्रीमान विनोद पंत ज्यू क कुमाउनी कविता

एक दिन घरवाई कूण बैठी - 

दिगौ तुम देखीण चाण बान हुना ,
 लम्ब चौड पोठ्ठी पबलवान हुना  |
नौकरी हुनि सरकारि , खूब हुन कैश ,
तुम कमैबेर लूना , मी करन्यू ऐश | 
हल्द्वाणि मे मकान फोरह्वीलर गाडि हुनि ,
टमाटर जास गलाड उमे झक्क दाडि हुनि |
  पर कि करूं ......
ख्याड पडन म्यार सोल सोमवार ,
एक्कै दुल्हौ मिलौ उ ले बेरोजगार | 
.....   ....... ........ .......

मैलि कौ - 
बात तो तू सोल आ्न सही कैगेछी ,

तदुक चीज जै मेर पास हुनी तो फिर मेर लिजी त्वी रैगेछी ?
मेके खूब दैज मिलन भाल रिश्त उन ,
सौरास बटी पिठ्याक ठुल किश्त उन |
काकडि फुल्यूड जसि स्यैणि गोरि फनार हुनि ,
उ ले मास्टर्याणि हुनि खूब होशियार हुनि |
उ जपान और छी , बरनक अकाव छी ,
तब मेर जासनक ले एक लाख क भाव छी |
हमार आजकला लौडनाक जास हाल नि छी , 
हमार लिजी चेलिनक अकाल नि छी |
सरकारि नौकरी हल्द्वाणि मकान के भांग फुला |
फ्री फकोट मे जस मिलि रयूं उसलि काम चला ||
 #विनोद_पन्त_खन्तोली

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