शनिवार, 18 मई 2024

पुरुखन की कुडि़ बाडि़

ओsssओs ओ ssssssओsओsssओsssओssओ
पुरूखन की कुड़ि बाड़ि कशि बांजि गई
कि जाणि पुश्तन की कशि माया मरि गई

हरिं भरि खेति पाति कशि देखि रूंछि
गोरु बाछा भैंसि कशि दौणि छाजि रूंछि

आमा को तुलसि वृंन्दावन टुटि फुटि गोछ
इजा बणाइं बसुन्धारा धूमिल है गयीं

खला की भिड़ि बीच में ठुल ढुंग अब कहां छु
बड़बाज्यु बौज्यु जैमै ह्युना घाम पड़ि रूंछि

वाल् घर पाल् घर सब तालि लागि रयीं
तालिन में लै देखौ कशा बोट जामि गयीं

देसन में बसि रया ददा बैणि भुलियो
कभै कभै ऊंने रया तुम लै भल चिताला

पुश्तन कि कुड़ि बाड़ि मरोमत करै लियौ
पहाड़ की हवा पाणि संस्कृति बचै लियौ

छाड़ि दिंछा छोड़ि दियौ मन बणै लियौ
यां वां लेकिन आपूं कैं पहाड़ि लै नि कवौ
#USPlyrics

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