गीत
**** दीवान सिंह कठायत।
मैं बीनाग को लोंडा तूछै बरेली वाली
मैं पहाड़ चढ़छूं तू गोल पार्कों वाली
म्यार् पाथरों मकाना तू नई फ्लैटों वाली
म्यार् पाणीक नौला तू प्यूरीफायरों वाली
मेरि अग्निवीर सेवा तू आइआइटी वाली
मेरि तनखा हजारों तू छै करोड़ों वाली
मेरा दगाड़ा माँबापा तू सिंगल फैमिली वाली
मेरा खाणा पहाड़ी तू चाइनीज डिसों वाली
तेरा फ्रैंडरिक्वैस्ट मस्ती की मैं चाहूँ सीधी घरवाली
तेरा मेरा क्या मेल समझ बात दूर रिश्तै की साली
मैं पुरानो सिक्का तू लागंछी नोट जाली
मैं सीधो पहाड़ी मैस तू छै शहरों वाली
मैं सोसियल आदमी तू सोसलमिडिया वाली
मैं देश की रक्षा में तू देश चलूणो वाली
तू हाय हैलो करछी मेरि जैहिंद की बोली
तू घुमछी कारों मा मेरि द्वि खुटिया गाड़ी
नमस्ते करूँ मैडम मैं माफी करी दीए
आफनो लेबुल को कोई औरो ढूंढ लिए।
मुपो.राईआगर , बेरीनाग।
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