रविवार, 23 दिसंबर 2018

पहाड़ों ठण्ड

पहाडों क खुशक ठण्ड

कुछ दिनों बटी मौसम ठण्ड ठण्ड हैगो

एक आद हप्त बै तुस्यार ले पडन फैगों

अच्यालू पड़ी बड़ी कडाके ठण्ड छु

अदजगई ठिटुक रौन मे धूमन छु

हव्वक फरफराट तुस्यरैक कडकडाक

आब त बिछुणम बै उठुहू न मन छु

अच्यालू पड़ी बड़ी कडाके ठण्ड छु

हाथ मे ठण्ड पाणि लागि गो त
तबियत झण्ड छु

खण मे पकौडी समोसा अहम अंग छु
स्वर्ग ले या नर्क ले या लासणेकि चटडि अगर संग छु

टोपी मफ्लर क करनू मे बखान
बनैन जैकिट जो ले गरम हू उ इन दिनों महान

द्वि महिणक ठण्ड हमुकें लागु अनंत
धिरज धरिया मित्रों आघिल आल बसंत


कडाकें ठण्ड दगड भौत भौत धन्यवाद

कविता _देवेन्द्र सती
पपनैपुरी बटी

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