रमेश हितैषी
कुमाउनी गढ़वाली हिंदी साहित्य सृजक
डाइ लगाओ
डाइ लगाओ जीवन बचाओ, खुद बचौ औरों कें बचाओ।
जीवन मे कुछ बचौ न बचौ, पर हवा पाणि जरूर बचाओ।
बिन डाइ बिन पाणि नि बचली ज्यान,
मथ मथै नि चहाओ आजि लै धरौ ध्यान।
बांज, बुरांश कांफोव लगाओ,
देश रौ पहाड़ पर पाणि जरूर बचाओ।
नाग धरती कु श्रंगार कै जाओ,
अघिला पीड़ी की कुछ समाउ कै जाओ।
कसिक लिल सांस यौ समझी जाओ,
देश रौ पहाड़ पर पाणि जरूर बचाओ।
बांज, बुरांश कांफोव डाइ छौ पाणि कि महतारी,
नि हौळ पाणि मरळि दूनि सारी।
यू डायौं जंगल कें मिलि बै बचाओ,
देश रौ पहाड़ पर पाणि जरूर बचाओ।
उतीस खड़ीक अंयार लोद जंगव कि सान,
जति हनि घोर जंगव वेति हों धरती क मान।
कुहां कें हटाओ बांज, बुरांश कांफोव लगाओ,
देश रौ पहाड़ पर पाणि जरूर बचाओ।
बेडु, तिमिल फें कें जरूर बचाओ,
गोरू बकर चारु हौल, भलि हवा पाओ।
बांजि खेति में बगीच बनाओ,
देश रौ पहाड़ पर पाणि जरूर बचाओ।
आरू, चुवारु, खुमानी, नासपाती लगाओ,
बितण, अकेसिया तूणी बांस लै उगाओ,
है सकूं देवदार, रंसू ळ मंगाओ,
देश रौ पहाड़ पर पाणि जरूर बचाओ।
बौड़, सीसम, गींठी, सानण लगाओ,
छोड़ौ पुराणि कहावत पीपल लै रोपाओ।
कनार, साल, सागौनक भाबर बनाओ,
देश रौ पहाड़ पर पाणि जरूर बचाओ।
नीम, सहतूत, अमलतास, मरांडी और टीक उगाओ,
स्यौव लै भल हौल जामुन जरूर लगाओ।
धरतिकि पकड़ लै मजबूत बनाओ,
देश रौ पहाड़ पर पाणि जरूर बचाओ।
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