बुधवार, 31 जनवरी 2024

राम भजन

" म्यार घर राम आ रई " 
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(कुमाऊँनी भजन)- दीवान सिंह कठायत

आ रई -आ रई -आ रई, म्यार घर राम आ रई। 
खिलि गयीं -खिलि गयीं -खिलि गयीं,धनभाग म्यारा खिलि गयीं।। 

बजाओ -बजाओ तुमि, जोर -जोरूं ले ढोल
सजाओ -सजाओ म्यारा, फुल पाती ले मोल
ओ दिदी -ओ भुली, नानू ठूला सयांणा
आई रै बहार  देखो, राम ज्यू कारणा
    है रयीं -है रयीं -है रयीं,  मनैकि जसि है रयीं। 
    खिलि गयीं ....................                        ।। 

शबरी सो भगत छूं मैं, सीधो पहाड़ी मैस
न छल कपट मन, इक उनरी आश
आब् वों बिराजि गैना, अयोध्या ज्यू धामा
 म्यारा घरूं में लै आला , छोड़ि अपणो कामा
    ला रई- ला रई ला- रई, भाय् भारिया संग ला रई। 
    खिलि गयीं..................... ‌‌                        ।। 

भट भूटिया द्यूलो उनन, लसपसिया खीर
मडुवा रोट मा घ्यू धरूंलो, गुड़ कटक चीर
तिमुली का पात बिछून, धोइ- धोइ बेर
भोग लगाओ स्वामी कूंल, हाथ जोड़ि बेर
    बिछि गयीं बिछि गयीं बिछि गयीं,भ्यार भितेर दरि बिछिगयीं।
    खिलि गयीं................ ‌‌‌                                            ।। 

प्रधानाध्यापक, राआप्रावि उडियारी बेरीनाग पिथौरागढ।

शनिवार, 13 जनवरी 2024

श्रीमान प्रकाश पाण्डेय जी की रचना

🙏🌸🏵️🕉️🌻🌹🌺💐🌅
         *🙏उतरैणिक कौतिक✍️*
खुटाँ में झांवर गाव् में गुलुबंद, 
    नाखन नथुलि कसि चमकी रै , 
आपण उमराका स्वानिक दगडै़, 
    गौंकि पधानि यसि बमकी रै!! 

मसांत ब्यावाक मांसाक बेड़ू, 
    उतरैणि दिनाका घुघुत छना, 
छापरि में ढकिया लगड़ गुटुका, 
     भैटि बेर खाणईं बगड़ पना,
सासु तुम खाओ दिज्यू आइ ल्हियो, 
     सबूं का मन में ऊ राजी रै *! खुटाँ में ०!!*

सरयू बगड़ लै कांडाकि सड़क लै,
     ताकुलैकि  रोड  लै  भरियै  छौ, 
गरुड़ दानपुरा का कौतिकार आया, 
    सासु ब्वारिक् गौड़ लै चैइये छौ, 
बाग नाथ ज्यू लै दर्शन दीणईं,
    वाँ नौबत घान् लै बाजणी रै *!खुटाँ में०!!*

एक दिन पैलिकै भीड़ जुड़ैं छी,
     बरस दिनैकि बरस्योव मनाय,
ठुलां हुणि पैलाग नाना थैं ज्यू जाग् ,
     अंग्वाव भेटणईं यों प्रीत लगाय, 
क्वे गोरि उजई सांवई क्वे छ, 
      पौडर क्रीमैल क्वे सानी रै *!खुटाँ में ०!!*

सन् अस्सी की याद उणै छ, 
      जो लै हमल देख उ सच्ची छौ, 
जनन दगाड़ जो प्रीत छी हमरी, 
     झुटि झन मानिया उ पक्की छौ, 
जीरैया बचि रैया संयात भेटिया, 
    मन में  रटन म्यार यै लागी रै *!खुटाँ में०!!*
    *🙏🌸जय बागनाथ ज्यू🏵️✍️*
 *🙏सबन कणि उत्तरैणि कि बधाई✍️*
             *प्रकाश  पाण्डेय* 
            *कनखल, हरिद्वार* 
               *१३-०१-२०२२*

घुगुतिया त्यार

घुघुतिया त्यार

नान छना मैं सोचछी य चार चार चार(४४४)किलैं बनूं रई?

और यैक नाम घुघुत किलैं कु रई?

ना पॉंख ना पूठ ना मुनव ना खुट
ना हिटणी ना उडानि ना फरफडानी?

यू तो गुड़ क पाक क बनछी मीठ्ठ!

नान छनों जब हम त्यारोंक इंतजार करछी
उ दिवाई ना होई धुधुती त्यार हूछी
हमर गव मैं लम्ब लम्ब धुधुती मॉंव हूछ!

गौ गौ घर पलायनैं मार झैलें रौं 
गौ बटी निकल बैर भाबरों मे बस जारो!

गौनों मे लम्ब चौड़ बाखई हूछी
एक हाथ लम्ब घुगुती क मॉंव हूछी
कालै कालै कालें कैबैर कव्वा कै बुलूछी!

आज ना काव बच री ना घुगुती माव
ना उ रंगत रैगैं जो संज्ञानों मे हूछी!

मैं आई ले तुम्हूतें कौनूं 
लाईक कमेन्ट जरुर करिया
सबस्क्राईब कर बैर घंटी क लै ध्यान धरिया!

माघा क मंगल ल्या पूषाक ईतवार
य बार उत्तरैणी कौतिक जाया  बागश्वरै बजार!

मकर राशी पर सूर्ज एैंजा आज
उत्तरैणिक पर्व क है जा आगाज!

क्वैं मनै लिया भों क्वैं मनै ल्या आज
आपूं सबौंक सहयोग क लिजी भौतें धन्यवाद!

@देव सती (पहाडी़ बटोही)

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

type of जवाई



#जंवाई
  

इस चराचर जगत में अगर कोई पद सबसे बडा है तो वो है जंवाई का पद और कोई सर्वोच्च सिंहासन है तो वो है जवांई  होना और कोई मान प्रतिष्ठा की पराकाष्ठा है तो वो भी जंवाई ही है | 
आज  लडकों को जीवनसंगिनी नही मिल पा रही है और उनका यह दु:ख इसलिए है कि उन्हें जंवाई बनने का परमसुख नही मिल पा रहा है | उन्हें तरह तरह की परीक्षा और योग्यताओ के मापदण्डों पर परखा जा रहा है | एक युवा के लिए ब्याह करना आईएएस बनने से अधिक कठिन हो गया है   यदि मैं अपने समय को याद करूं तो हमारे समकालीन युवाओ का विवाह बडी आसानी से हो जाया करता था योग्यता सिर्फ इतनी अर्जित करनी होती थी कि आप दिल्ली या किसी शहर रिटर्न हों और आपके पिताजी या मंगजोगी ( मध्यस्त या बिचौलिया ) वाकपटुता में कुशल हों |  भलो धर बर छ कहना ही पर्याप्त था . 
अब जब विवाह हो गया तो सभी ससुरालियों को अपना जंवाई राजदीवान लगता था | सबसे ज्यादा तो हमारी पत्निया ओच्छ्या जाती थी हमको पाकर , चूंकि गांव की सीधी साधी लडकियां होती थी तो उनके सपनो में राजकुमार आता ही नही था | विवाह या पति के नाम पर तो वो शरम से अकेले में भी  लाल हो जाती थी |  सहेलियों में भी कहा करती मैं शादी ही नही करूंगी पर जब मां बाप ब्या ठरयाते तो तुरन्त मान जाती थी , कैसा है क्या है ये पसन्द है नही है या यूं कहिये कि लडके को नापसन्द भी कर सकते हैं ये उन बेचारियों को मालूम ही न था |    शादी के बाद दूल्हा जैसा भी निकला उसके सांचे में ढल जाना ही उनकी नियति थी | 
विवाह के दिन तो दूल्हा मुकुट , हार , माला , झालर , कोट पैन्ट मुंह में ऐपण जैसे डिजाइन जिन्हे कुरमू कहते थे  में ठीक ही लगता था |  असली पता तो दुरगूण के दिन चलता था कि पैकिग के भीतर माल कैसा है ? 
पहली बार ( दुरगूण )  ससुराल जाते ही गांव वाले भी जंवाई को देखने पहुंच जाते थे ,  लडकी का परिवार तो जंवाई को पाकर धन्य हो जाता था | 
लडका दुबला पतला सिंट जैसा हो या गोल मटोल गुबर के थोपे जैसा या काला उल्टे तवे जैसा हो , मुह पटपटाया जैसा हो या ढडुवे जैसे गाल वाला , लम्बा लुट्यास जैसा हो या साढे तीन फिट का बौना सास को जंवाई मे कोई कमी नजर नही आती थी |  मुझे याद है जब मैं ससुराल गया तो मेरे बयालीस किलो के धागे जैसे शरीर को देखकर भी मेरे ससुराल के पडोसियों ने प्रोटोकाल के तहत मेरी सास से कहा था - लाआआआ भला जवैं ऐरीन .. तो मेरी सास के चेहरे की चमक ऐसी हो गयी थी मानो हिमालय पर सूरज की पहली किरण पड रही हो | वो गर्वित संतोष से बोली थी -  होय भालै छन पैं , दुबाव पताव छन पर छाजन छन | ढ्योर कैलै बाकि लाग भलै कम लाग कि फरक पडौं .
काले कलूटे जंवाई को भी सासू मांऐ कहती थी -  जरा कलसुवाल छन , पर नाक् नि देखीन , रसील काल् छन .. किसन भगवान नि छिये काल् ? 
गोल मटोल बेडोल को कहा जाता - रंग रूप तो भगवानक दिई भै , बच रई चैनन . 
अगर जंवाई मोटे मिल गये तो कहा जाता था - शरीर मोट् छ पर  छाव् छरबट गजब छन ,  सब कामाक भाय , घर पन ले एक मिनट खालि नि बैठन बल | 
ठिगने या बौंने जवाई को कहा जाता था - अरे भला भाल गुदुक जास छन , चार मैसन में बैठी घच्च कन  कतुक भाल् देखीनी | 
बिलकुल पटपटाऐ चुतरौव जैसे गालो वाले की तारीफ कुछ यूं की जाती थी - अरे मैसाक् गुण देखण चैनन  आब ब्या हैगो सन्तोषलि मोटै जाल् | 
अगर जंवाई नकचढा , तुनकमिजाज हो तो कहा जाता था - खर आदिम भाय , लोपड चापड भल नि लागन तनन | 
अगर जंवाई बैचाल टाईप , बिलकुल लाटा पप्पू  आ गया तो सासू मां लोगो को बताती - हमार जवैं धरती भाय धरती , धीर गम्भीर , सिद इतुक कि गोठ नि बादा भितरै बाद | 
अगर दिल्ली रिटर्न जवाई बेरोजगार निकल गया तो भी चिन्ता की बात नही , सास ससुर के पास इसका भी हल था -  अरे चेलि कैं पालि हालाल , भुक ज के मरण दयाल , खेति पाति छनै छ , चेलि में जै हुनर होलौ कर खालि कारबार . 
   मतलब सास ससुर के लिए जवाई में कोई कमी नही होती थी |  साली का तो कहना ही क्या ? उसके भिन्ज्यू गांव की हरुलि परुलि , मीना , गोबिन्दी सबके भिन्ज्यू से ज्यादे स्मार्ट हुए | 
सच कह रहा हूं हमारे जिन अवगुणो की वजह से गांव वाले हमें चिढाते थे वो ससुराल आते ही ऐसे गुणो में परिवर्तित हो जाऐगे हमने सोचा तक नही था |  काले रंग की वजह से कई या कल्लू कहे जाने वाले लडके को जब ससुराल में  रसीला काला कहा जाता तो तब पता चलता कि काले रंग का एक शेड ऐसा भी होता है |  जिस पतले शरीर के कारण हमें लुतरा या लुत्ती कहा जाता था ससुराल जाकर पता चला कि हम छाजन हैं | 
मोटे को खुद नही पता कि वो छाल् छरबट है | जिस बेरोजगारी का तंज मां बाप हर समय मारते थे और कहते थे कि आगे जाकर भूखा मरेगा उसे सास के बचनो से पता लगता था कि वो तो पत्नी को भी पाल लेगा वो भी बिना कुछ करे धरे | जिस बौने ठिगने दिनेश को घर गांव में दिन्नू ठिन् कहते थे उसे क्या पता था कि वो चार आदमियोॆ मेॆ बैठा जमता है |
और तो और लाटा या बैचाल जंवाई भी ससुराल जाकर धीर गम्भीर धरती टाइप निकलता है इससे सुखद आश्चर्य और क्या होगा ? 
इसीलिए मै बार बार दोहराता आ रहा हूं कि दुनिया की सबसे महान उपलब्धि जंवाई बनना है |  इसलिए हे युवाओ ! उठो , सघर्ष करो और जवाई बनने का लक्ष्य निर्धारित करो इसे पाकर रहो | मेरी शुभकामनाऐ तुम्हारे साथ हैं | 
#विनोदपन्त_ की कलम से

गौ घरों मा बानर

गौ घरों मे आजकल भौतें बानर आरि!

निब्मू  माल्टा बौटों के हिलें जारि!

घरोंक द्वार खुली रे गया रव्टा के स्टकै लिल्हें जारि!

माल खेतम बै हूलर बेर तलि खेतम लूकी जारि!

गुणि बानर हकूनें हाट भाट स्वैरि जारि!

यई बहानैल हमार बाट घ्वैटों क धूंग लै चाणि जारि!

सव्क बौटक टुकम बै हमूकैं चै रारि!

क्वैं नि देखो ख्व पन चट्ट ऐ जारि!

हमर TV क डिसो के ले हिले जारि!

एक काम आजि बढें जारि!

एकलू बानर घर मे ऐ बैर कुकुर कै  थपणैं जारो!

भौटी कुकुर पूछण दबै बैर भिते र लूकी जारो!

एकलू घर मा बूढ़ बाडियों क नौराट
धूरि पन बानरों क खुखाट हैरो!

गुणि बानर दैख बैर एक हिन्दी गीत याद ऐ जारो!

(*दिल का रिश्ता बडा़ ही प्यारा है*)
बानरों का उजाण भौतें ही ज्यादा है!
भौटी कुकूर शेरु ले हमारा है!

हम तो एक दूसरे से डरतें है!

मैरी पालकों हासणूं को चुनकर!
खैत बाज य कराया है!

सव्क टूकम जै बैर जो हमूकें नाच नचाया है!
तुमूकें देखि बैर हमर शेरु ले सरमाया है!

जथा चानूं उथां तुमि तुम छा!
और नजारों मे क्या नजारा है..!@देव सती पहाडी़ बटोही

शनिवार, 6 जनवरी 2024

व्याह दिवान सिंह कठायत जी की कविता

कोई व्याह करा दे
**************   दीवान सिंह कठायत। 

पहाडों पर अब विपदा दिख रही
कुवारे रह रहे छोरे शादी कठिन हो रही
कोई करा दे व्याह मेरा, लड़के कह रहे
भरी जवानी बेकार , अकेले बिता रहे। 
बीसवीं सदी के आखिरी दौर का
असर अब  है दिख रहा
बेहिसाब कन्या भ्रूण हत्या का
पहाड़ दंश है झेल रहा। 
नारी सशक्तिकरण शिक्षा जागरूकता
और घट रही जन्म दर 
विषम अनुपात नर -नारी का
ऊपर से पलायन का असर। 
आज शिक्षा लेकर हर लड़की
अपने पैरों पर खड़ा होना चाह रही
शादी कर घर बसाना
बाद की बात बन रही। 
घरेलू कामों से मुक्त होऊं
मैं भी अच्छी नौकरी पाऊँ
लड़की हूँ तो क्या हुआ? 
कुछ करके मैं भी दिखलाऊॅ। 
 सोच ऐसी रखकर कन्याएँ
व्याह से विरक्त हो रहीं
कैरियर बना लूं पहले
अति उत्साही बन रहीं। 
शर्तें रख रहे भारी लड़की वाले
सरकारी नौकरी हल्द्वानी में मकान
व्याह होते सीधे जाएगी भावर
पहाड़ पर नहीं करेगी काम। 
आज के समय में सरकारी सेवा पाना
आसमान के तारे गिनने जैसा है
जो कोई पा गया सौभाग्य से तो
खुद  ही लड़की ढूंढ लेता है। 
जो लव मैरिज के चक्कर में हैं
उनकी ही बल्ले- बल्ले हो रही
बिना लाग लपेट के लड़के को
मनमाफिक ललना मिल रही। 
भटक रहे सीधे- साधे लड़के
माँ -बाप रीति रिवाज मानने वाले
कर रहे हैं जो प्राइवेट नौकरी या धंधा
तरस रहे हैं लड़कियों को पाने। 
भला हर एक को कहाँ सरकारी नौकरी
मिल सकती है ? सोचो जरा
हर परिवार हल्द्वानी बस जाए
ऐसा भी संभव नहीं भुला। 
लव मैरिज सफल ही होंगे सदा
ऐसी भी कोई गारंटी नहीं
नेक मेहनतकश लड़का
किसी देवता से कम नहीं। 
समय से शादी भी है जरूरी 
ताकि गृहस्थी ठीक टाइम से बस जाए
यदि योग्यता है लड़की में तो
शादी के बाद भी उच्च पद हैं कई ने पाएं। 

  प्रधानाध्यापक, राआप्रावि उडियारी ,बेरीनाग पिथौरागढ।