प्रणाम
"समर्पित"
सभी उत्तराखण्ड के प्रवासी भाईयों बहनों व प्रदेश जनों को!
आज हमर देश व विदेश सबैं एक कोरोना वायरस नामक वैश्विक बिमारी लडें रो ,जो हमार प्रवासी भै बैणी छन जो आपण द्वि रोटिक जुगाड़ मे दिल्ली,मुम्बई,बैंगलोर,गुजरात,पंजाब जास ठुल ठुल शहरों मे आपण गुजर बसर करण लाग रौछि उ य बिमारी क वजल और य टैम देखबैर ज्यादें परशान छ!
त सैद उ पहाडी़ं प्रवासी क्यै पत्त यस्सै सुचूहूनाल जस्सै मे!
*प्रस्तुत छ आपण सामणि य कुमाउनी कविता जैक शीर्षक छ हिट भुला आपण पहाड़ जौल*
●आब न्हैं जूल य भाबर छोडि़
कोरोना त्विलें कसी य कमर टोडि़
द्वि रोटिक कारण पहाड़ बै भाजा भाज हैरोछी
घरोंक नाज पाणि खेतों के बज्जै छोडि़ ऐगोंछि
बाज खेतों मे फिर हव्व लगूल
हिट भुला आपण पहाड़ जौल!
●छोडि़ आयू उ पहाडो़ंक ठण्ड पाणि
फ्रिज फिल्टरक पाणिल या तीस बुझाई
शहरोंक भीड़ भाड़ मे आपण जवानी गवाई
जतु कमाई उतु खाई बकाई सब यस्सै बिमारी मे गाइ
नौल गधैरों ठण्ड ठण्ड पाणि पियूल
खेत बाडी़ मे के नी ले होलो त सिसुणक साग बनूल
रुख सुख जस ले ह्वल वई खूल वई पॅकूल
मगर आपण पहाड़ में रूल
हिट भुला आपण पहाड़ जौल!
●शहर तब तकैं पूछल जब तक जैबम डबल ह्वल
गौं मे यस नी भय त्यर म्यर सब आपणें हय
आपण टूटि मकानों के फिर ठिक करूल
व्येें रुल व्यें घर बसूल
हिट भुला आपण आपण पहाड़ जौल!
●या एक्कें कम्र मे बकार मुर्गी जा कधिन तक गोठी रुल
हिट भुला पहाड़ मे डाव बोटिक स्यों मे लम्ब हूल
भुला हम पहाडि़ हाय वै आपण घर बसूल
ठण्ड हॉव पौन खैबैर स्वस्थ रुल मस्त रुल
आपण कुमाउनी संस्कृति कैलें बचूल
हिट भुला आपण पहाड़ जौल!
●पहाडो़ंक बाज खेतों मे फिर अनाज उगूल
आपण पहाड़ कै फिर हरी भरी बनूल
आपण ईज बोज्यूक काम मे हाथ बटूल
धानूक रुपाई मे हुडूकी बोल फिर लगूल
वै झोडि़ चॉचरि वै होई वै दिवाई मनूल
हिट भुला आपण पहाड़ जौल!
●पैलीकाक दिनोंक चारि सब मिलजूल रुल
एक्कैं चूल मे खण बनूल
भाई जी भाई आब नी कूल दाज्यू ही कूल
हाय बाय छोडि बैर नमस्कार राम राम कूल
आब मन भरी गो भावर बै
आपण पहाड़ें न्हैं जौल
तुम हिटला ठीक हय नतर यकलैं न्है जौल
हिटों दाज्यू हिटों भुला आपण पहाड़ है न्है जौल!
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