पैलिकाक दिन कतु भाल हूछी
परिवार मे सब मिलिजुली रुछी
आपूणे खेतो मे सब नाज पाणि हूछी
दूहरोक देखी देखी मे एक गोय दूहर गोय
परिवार सब टुट गोय
पहाडों मे खुब लम्ब चौड भितेर हूछी
कोई वाल भितेर कोई पाल भितेर
गर्मि मे पेडोंक मुड बे लम्ब हूछी
शहरों मे इक्के भितेर बकार मुर्गी जा गोठी रुनी
किलेकी वाक कमरोंक रेट भौत सकर हूनी
जो शहर न्है गयी उन्हो पूछो त
सब भल हैरो भल हैरो कुनी
तुम्होते पहाड आय ले कुणो किले गछा रुठी
आब नी आला तो दस पन्दर साल बाद आला
मगर आला यती
कविता-देव सती
पपनेपुरी पाखुडा़
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