करवॉ चौथ की मारी हमरि पहाडी़ ब्वारी
जून (चन्द्रमा) ले उई छ
ब्योल(घरवाल) ले उई छ
पर बदय्ल है लो ब्वारियूल आपूण रुप
दगडियों मे मची आ हौड़ छू
ज्यादा खर्च करूहू
बजार हू दौड़ छू
भौत दिन पैली शुरु है जै तैय्यारी
ब्वारि घूमनी बजार
घर समावें सासु बैचारी
ब्योंल कर्ज मे डूब रो
घरवाई के खुशी करणक चक्करम
भान कुन के बैच रो
अच्यालाक ब्वारी ब्योले पर ऐसान करनी
दिन भर भूक रैबैर ब्योले के परशान करनी
क्येलेकी करवॉ चौथेक मारि हमरि पहाडो़क ब्वारी
करलि तु अब छठ पुजेक ले तेय्यारि
आ बनणैछै पंजाबी फिर बनली बिहारी
बस पहाडी़ संस्कृति अपनूणम तुके शरम लागी भारी
करवॉ चौथ वर्त वाल नक झन मानिया🙏🏻
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