बुधवार, 22 जनवरी 2025

उतरैणी काव

*उत्तरैणी क कव्वाक नई मांग*

नी उन लाख धते ल्यों
मि नी खान तुमि खै ल्यों।
म्यर लिजी सूखी घूगुत
आपूं मोमो खचा।
म्यर लिजी दड़म डमरु
आपूं पिज्जा मगूंछा।
म्यर माव मे ले जब चौमिन लटकाला।
तब सोचूल आणेंकि जब बर्गर ले लटकाला।
मे त्यर काले काले कै बैर किले आऊ बाँधी न्हैति।
कान खोल बैर सुण ले तू 
मि काव छू गधा न्हैति।
 
घूघूतिया त्यारक भौत बधै

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