बुधवार, 28 सितंबर 2022

शंकर जोशी जी की कविता

****बहुत कुछ*****
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आँमाँ की पैदाइश 
उन्नीस सौ तितालीस की है !
यानि आजादीसे 
पांच साल बड़ी !
आँमाँ इलाज कराने 
हल्द्वानी आई ।
परचा बनाया नंबर लगाया 
लोग आते रहे जाते रहे 
कोई सीधे अंदर जाते 
किसी को डाँक्टर बुलाते 
किसी ने वार्ड बाय से 
गोटी भीड़ाई ।
किसी ने जुगाड़े से 
अपनी पर्ची आगे बढ़ाई ।
देखा तो आँमा् ने भी 
पर कौन जाने आँमा् के मन की 
नाती को भी हिम्मत नहीं आई 
औबजैक्शन की ।
आँमाँ ओ इजा !ओ बबो! करती रही 
लोग आते रहे जाते रहे 
आँमाँ की परची आँखिरी  रही ।
डाँक्टर ने पूछा अम्मा क्या परेशानी है /
अम्मा बोली सुबह से पर्चा लगा है 
नंबर आखिर में आया 
ये क्या कहानी है ?
डाँक्टर ने कहा आँखें खोलो 
आ करो जीभ दिखाओ 
न टैस्ट न वैस्ट !
डाँक्टर ने सीधे लिख दी दवा 
जीप वाला वहीं खड़ा था 
आँमाँ दवा लेकर
 पहाड़ को हो गई हवा ॥
आँमाँ ठीक हो जाय बस 
सब भगवान की दुवा है 
क्यों नहीं हुवा है 
चौहत्तर साल में बहुत कुछ हुवा है ॥
💐💐शंकर जोशी 💐💐

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