बुधवार, 9 दिसंबर 2020

अच्छी

औरों को तो पता नहीं तुम कैसी लगती हो,
जैसी भी हो जो भी हो मुझको अच्छी लगती हो।

इस बात का तुमने मेरी क्या मतलब समझा,
मैंने तो बस ये बोला था अच्छी लगती हो।

ना जाने हर पल किस सोच में डूबी रहती हो,
जो भी हो ऐसे डूबी हुयी भी अच्छी लगती हो।

एक बात कहूँ क्या बोलों तो कह डालू एक बार क्या,
सौ बार भी बोलू तो कम हैं कि अच्छी लगती हो।

इस सादगी का हीं श्रृंगार बहुत हैं घायल करने को,
बिना किसी श्रृंगार के भी तुम कितनी अच्छी लगती हो।

इस दुनिया के सारे जेवर तुम्हारे रंग पे फीके हैं जानाँ,
चाँद भी खुद जलता हैं तुमसे इतनी अच्छी लगती हो।

होगें हसीन चाहें लाख भले हीं और ज़माने में,
मुझको तो बस तुम्हीं उन सबसे अच्छी लगती हो।

शनिवार, 28 नवंबर 2020

rajneeti

राजनीति कच्यार मे मथोंवा मथोंव


तुमी  मालिक छा मे तुमर  सेवक छु

तुमी  स्वामी छा मे पोहरदार  छु

निर्झरक्या  आवों पोलिंग  बूथ मे

चुनाव चिन्ह के ध्यान ल  देखि बैर बटन दबाओ

क्ये  त्यर  क्ये  म्यर  
य पोलिंग  बूथ मे बार घण्टक म्यर  ड्यर 

तु मुहर बटन दबै  बै  धर जा बक्स मे 

नेता सोचे रई  हम तुके  टरके द् यूल सस्त  मे

हमर जीती बाद दगाड़ झन  लागिये

तुके  भबरे द् यूल रस्त  मे
आब हमार  पॉच  साल कट जाल  मस्ती मे

किलेकी

कर्मण्येवाधिकारस्ते  मॉ  फलेषु कदा चने
यसिकै आपुण किमती  बोट दिने  रैजै

य बोट दियक  तुके  पुण्य मिलल
और हमुके  जितियक बाद धन पॉवर कुर्सी मिलल

ले पे   एक  आद पवू पी बैर घर न्है  जा

आघिल चुनाव है पैली  
ना हम दैखियूल 
ना तु दैखिये

कविता- देवेन्द्र सती 
पपनैपुरी  पाखुडा

शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

पिठ्या

हमर कुमाऊंक  शान छू पिठया 
घर आई अतिथिक सम्मान छू पिठया
घरबटी निकलन ह पैली आशीष छू पिठया
ख्वर मे इजक अशीक छू द्वी आंगुल  पिठया
बिछुड़न बखत भावनाऊंक अंबार छू पिठया
अक्षत, चंदन , कुमकुमक संगम छू पिठया 
ध्यान केंद्रित करनक एक उपाय छू  पिठया
ब्या काजन में नांतिनक चुंगी लै छू  पिठया
बंद मुट्ठी में च्यापबेर धरी गेईन नोटूंक 
सुखद एहसास लै  छू पिठया
नाक बटीको खवर तले एक धार छू पिठया
काचहल्द,चूख और सुहागाक मेल छू पिठया
बरातियूंक गिणनक एक पछयाण छू पिठया
हमर संस्कृतिक पछयाण छू पिठया
(आभा)19.11.20

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

ब्वारी चलूनी फेसबुक

मातृ शक्ति हूॅ एक विनती छु नौक झन मानिया हो.

"आजकल चेली ब्वारी चलौनी दिन भर फेसबुक!"

नई फोटो अपलोड करी बेरा पुछनी हाउइज माई लुक!

सौर ज्यू देखनी गोर भैसों कै,

 सासु बेचारी बनी रै कुक

स्वामी जीहे बोलनी छन मैकै छ भारी दुःख!!

देवर जिठान सब फ्रैन्ड बना ली, 

काम पै निछ मन!बट घट जैके देखा भागी फेसबुक मैं बीजी छन!!

जिठाना त कमेन्ट करनी

 "माई ब्रो नाईस लुक"!

मैसेज मै लिखनी छन हे भूली मैंलै ऊँ जरा रूक !!

खेतों की हालत देखि,खेतिम जामिगैइ कान!

रत्ते बटी रात तक सब आनलाइन छन!!

भैंस गोरू को अडाट पडि, गोठ्हन भटा भट!

कानो मजा हैन्ड़फ्री लगै बेरा,

छाजॉं मै बैठी लागी रै टका टक!

भूक हिरागै नीन हिरागै

 फेसबुक मै लागरी टूका टूक

!आजकल चेली ब्वारी चलौनी दिन भर फेसबुक!!

चार नानतिना की माँ छैं 

और फोटो सोल साल की

!फ्रैन्डो क कमैन्ट औना औसम छ त्यर लुक!!

रातकि नीन हरै गे,

 दिनक लिगो सुख

जुग जुग जी रयै ईजा जैल बना य फेसबुक

धन धन हो म्यर पहाड ।।।।

गुरुवार, 14 मई 2020

आपण पहाड़ है न्है जौल

प्रणाम
          
           "समर्पित"
सभी उत्तराखण्ड के प्रवासी भाईयों बहनों व प्रदेश जनों को! 

आज हमर देश व विदेश सबैं एक कोरोना वायरस नामक वैश्विक बिमारी लडें रो ,जो हमार प्रवासी भै बैणी छन जो आपण द्वि  रोटिक जुगाड़ मे दिल्ली,मुम्बई,बैंगलोर,गुजरात,पंजाब जास ठुल ठुल शहरों मे आपण गुजर बसर करण लाग रौछि उ य बिमारी क वजल और य टैम देखबैर  ज्यादें परशान छ!
त सैद उ पहाडी़ं प्रवासी क्यै पत्त यस्सै सुचूहूनाल जस्सै  मे!


*प्रस्तुत छ आपण सामणि य कुमाउनी कविता जैक शीर्षक छ हिट भुला आपण पहाड़ जौल*


●आब न्हैं जूल य भाबर छोडि़
कोरोना त्विलें कसी य कमर टोडि़
द्वि रोटिक कारण पहाड़ बै भाजा भाज हैरोछी
घरोंक नाज पाणि खेतों के बज्जै छोडि़  ऐगोंछि
बाज खेतों मे फिर हव्व लगूल
हिट भुला आपण पहाड़ जौल!

●छोडि़  आयू उ पहाडो़ंक ठण्ड पाणि
फ्रिज फिल्टरक पाणिल या तीस बुझाई
शहरोंक भीड़ भाड़ मे आपण जवानी गवाई
जतु कमाई उतु खाई बकाई सब यस्सै बिमारी मे गाइ
नौल गधैरों ठण्ड ठण्ड पाणि पियूल 
खेत बाडी़ मे के नी ले होलो त सिसुणक साग बनूल
रुख सुख जस ले ह्वल वई खूल वई पॅकूल
मगर आपण पहाड़ में रूल 
हिट भुला आपण पहाड़ जौल!

 ●शहर तब तकैं पूछल जब तक जैबम डबल ह्वल
गौं मे यस नी भय त्यर म्यर सब आपणें हय
आपण टूटि मकानों के फिर ठिक करूल 
व्येें रुल व्यें घर बसूल 
हिट भुला आपण आपण पहाड़ जौल!

●या एक्कें कम्र मे बकार मुर्गी जा कधिन तक गोठी रुल
हिट भुला पहाड़ मे डाव बोटिक स्यों मे लम्ब हूल
भुला हम पहाडि़  हाय वै आपण घर बसूल
ठण्ड हॉव पौन खैबैर स्वस्थ रुल मस्त रुल
आपण कुमाउनी संस्कृति कैलें बचूल
हिट भुला आपण पहाड़ जौल!

●पहाडो़ंक बाज खेतों मे फिर अनाज उगूल
आपण पहाड़ कै फिर हरी भरी बनूल
आपण ईज बोज्यूक काम मे हाथ बटूल
धानूक रुपाई मे हुडूकी बोल फिर लगूल
वै झोडि़ चॉचरि वै होई वै दिवाई मनूल 
हिट भुला आपण पहाड़ जौल!

●पैलीकाक दिनोंक चारि सब मिलजूल रुल
एक्कैं चूल मे खण बनूल
भाई जी भाई  आब नी कूल दाज्यू ही कूल
हाय बाय छोडि बैर नमस्कार राम राम कूल 
आब मन भरी गो भावर बै
आपण पहाड़ें न्हैं जौल
तुम हिटला  ठीक हय नतर यकलैं  न्है जौल 
हिटों दाज्यू हिटों भुला आपण पहाड़ है न्है जौल!

देवेन्द्र सती (पहाड़ी बटोहि)

सोमवार, 11 मई 2020

आबैक पहाड़कि बात

🌴🌿आबक पहाडेक बात🌴🌿

हरी भरी सारा 💐🌴म्येरी पहाडो की धारा🛤🏞
दिन बानरूल🙉🐒रात सुअरूल उज्याडा🐷🐽
गर्मिक दिना पाणिक मारमारा🌤💦
खेत बजिगी सारै सारा🏜🏖
के कुनु ददा आपणि बाता
दिन न चैना नीद न राता🌅⛺
जंगोव कटी गी महल बनिगी🌿🏘
अबनिरैगी खेत सीढिदारा🛤
धौतिलै बनायी खेते कि बाडा🏟
 सवाक पेडो की है रै भरमारा🌴🌴🌴
     कविता - देव सती

पैंली कां दिन कतू क भाल हुंछी

पैलिकाक दिन कतु भाल हूछी
परिवार मे सब मिलिजुली रुछी
आपूणे खेतो मे सब नाज पाणि हूछी

दूहरोक देखी देखी मे एक गोय दूहर गोय
परिवार सब टुट गोय

पहाडों मे खुब लम्ब चौड भितेर हूछी
कोई वाल भितेर कोई पाल भितेर
गर्मि मे पेडोंक मुड बे लम्ब हूछी

शहरों मे इक्के भितेर बकार मुर्गी जा गोठी रुनी
किलेकी वाक कमरोंक रेट भौत सकर हूनी

जो शहर न्है गयी उन्हो पूछो त
सब भल हैरो भल हैरो कुनी

तुम्होते पहाड आय ले कुणो किले गछा रुठी 

आब नी आला तो दस पन्दर साल बाद आला
मगर आला यती

कविता-देव सती 
पपनेपुरी पाखुडा़

शुक्रवार, 8 मई 2020

ठंडो रे ठडों

ठंडो रे ठंडो मेरा पहाड़े की हवा ठंडी 
पाणी.ठंडो
हो ..हो हो ..हो हो .
आ ...आ आ .. आ ..आ
ऐंच ऊच हियूं हिवाल ठंडो -ठंडो
निस गंगा जी को छाल ठंडो -ठंडो
छौया छन छाडा पंदियार हो हो ..हो हो
छन बुगियाल ढाल दार हो हो ..हो हो
रोला पाखा गोऊ उडीयार ठंडो
ठंडो रे ठंडो .मेरा पहाड़े की हवा ठंडी पाणी.ठंडो
रौसुला बुरांस कैल ठंडो -ठंडो
बांज देवदार छैल ठंडो -ठंडो
डंडा वार डंडा पार हो हो ..हो हो
बाटा- घाटा खाल धार हो हो ..हो हो
सार क्यार गोऊ गुठियार ठंडो
ठंडो रे ठंडो मेरा पहाड़े की हवा ठंडी पाणी.ठंडो
बांद बो की चाल -ढाल ठंडो -ठंडो
स्वामी जी बिना बग्वाल ठंडो -ठंडो
घोर -वोंड़ खबर सार हो हो ..हो हो
चिठ्ठी का कतर माँ प्यार हो हो ..हो हो
भोजी भेजी की जग्वाल ठंडो
ठंडो रे ठंडो .मेरा पहाड़े की हवा ठंडी पाणी ठंडो
पुष की छुयाल रात ठंडो - ठंडो
सौजडियो की छू इ बात ठंडो - ठंडो
मीठू माया कु पाग हो हो ..हो हो
जलोडिया ज्वानी की आग हो हो ..हो हो
गुस्सा नशा डीस राड़ ठंडो
ठंडो रे ठंडो ..मेरा पहाड़े की हवा ठंडी पाणी.ठंडो
गीत :: नरेन्दर सिंह नेगी जी

रविवार, 5 अप्रैल 2020

कोरोना हारल

कोरोना हारल 
आ ना भोंव जरुरें हारल
कोरोना वायरस हारल

कोरोना हमूकें हमरि औकात बते गछै
हाथ मिलून फैगा छी लोग
रमो राम कूण सीखे गछै!

सनातन धर्म वाल ले मीट मांस खा फैगा छी

चाईना बै  पूर दूणि तक साग पात खण सीखे गछै !

 हाथ मिलबै बनैछी अंग्रेज 
राम राम कूण सीखे गछे
चमगादड़ खे बै आपू बिमारी 
हमे उथा सरके गछै

 २१दिनोंक लॉकडाउन मे 
उई पूरान वाल दिनोंक याद दिलोछें
कुछ सीखै बेर ले य लॉकडाउन गुजर जाल
य नक टैम कोरोना ले आज ना भोंव हार जाल

देव सती

रविवार, 2 फ़रवरी 2020

म्येरि बुढैयि

#म्येरी_बुढैयी:  
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             म्येर बुढैयी ठण्ड क दिना 
                  गोठ तापूलो आग
              नान तिना छै दूर हमर
                  कस हमर भाग...!

            अगैट मजी भिमुआ खुना 
                 उमैं धरूलों जाति
             तव धारी बै म्येरी बुढैयी
               भट भुटुलों आजि...!

                बुढों प्राणि म्येरी बुढैयी
                 खम खम हैरों खास
             फोनम पूछी ब्वारी खबर
                  ठीक है रैछ सास...!

             काम नी करा ठण्ड लागलो
                  तकणि आलो जर
             म्येरी बुढैयी ख्याल करा
                  मकणि लागि डर...!

सोमवार, 27 जनवरी 2020

रामायण के सात सोपान

रामायण के सात काण्ड मानव की उन्नति के सात सोपान 

1 बालकाण्ड – बालक प्रभु को प्रिय है क्योकि उसमेँ छल , कपट , नही होता। विद्या , धन एवं प्रतिष्ठा बढने पर भी जो अपना हृदय निर्दोष निर्विकारी बनाये रखता है , उसी को भगवान प्राप्त होते है। बालक जैसा निर्दोष निर्विकारी दृष्टि रखने पर ही राम के स्वरुप को पहचान सकते है।

 जीवन मेँ सरलता का आगमन संयम एवं ब्रह्मचर्य से होता है। बालक की भाँति अपने मान अपमान को भूलने से जीवन मेँ सरलता आती है। बालक के समान निर्मोही एवं निर्विकारी बनने पर शरीर अयोध्या बनेगाजहाँ युद्ध, वैर ,ईर्ष्या नहीँ है , वही अयोध्या है ।

2. अयोध्याकाण्ड – यह काण्ड मनुष्य को निर्विकार बनाता है। जब जीव भक्ति रुपी सरयू नदी के तट पर हमेशा निवास करता है,तभी मनुष्य निर्विकारी बनता है।

भक्ति अर्थात् प्रेम ,अयोध्याकाण्ड प्रेम प्रदान करता है। राम का भरत प्रेम , राम का सौतेली माता से प्रेम आदि ,सब इसी काण्ड मेँ है। राम की निर्विकारिता इसी मेँ दिखाई देती है ।

अयोध्याकाण्ड का पाठ करने से परिवार मेँ प्रेम बढता है ।उसके घर मेँ लडाई झगडे नहीँ होते। उसका घर अयोध्या बनता है। कलह का मूल कारण धन एवं प्रतिष्ठा है। अयोध्याकाण्ड का फल निर्वैरता है ।सबसे पहले अपने घर की ही सभी प्राणियोँ मेँ भगवद् भाव रखना चाहिए।

3. अरण्यकाण्ड – यह निर्वासन प्रदान करता है। इसका मनन करने से वासना नष्ट होगी। बिना अरण्यवास(जंगल) के जीवन मेँ दिव्यता नहीँ आती। रामचन्द्र राजा होकर भी सीता के साथ वनवास किया ।वनवास मनुष्य हृदय को कोमल बनाता है। तप द्वारा ही काम रुपी रावण का बध होगा । इसमेँ सूपर्णखा(मोह )एवं शबरी (भक्ति)दोनो ही है। भगवान राम सन्देश देते हैँ कि मोह को त्यागकर भक्ति को अपनाओ ।

4. किष्किन्धाकाण्ड – जब मनुष्य निर्विकार एवं निर्वैर होगा तभी जीव की ईश्वर से मैत्री होगी ।इसमे सुग्रीव और राम अर्थात् जीव और ईश्वर की मैत्री का वर्णन है।

जब जीव सुग्रीव की भाँति हनुमान अर्थात् ब्रह्मचर्य का आश्रय लेगा तभी उसे राम मिलेँगे। जिसका कण्ठ सुन्दर है वही सुग्रीव है।कण्ठ की शोभा आभूषण से नही बल्कि राम नाम का जप करने से है। जिसका कण्ठ सुन्दर है ,उसी की मित्रता राम से होती है किन्तु उसे हनुमान यानी ब्रह्मचर्य की सहायता लेनी पडेगी।

5. सुन्दरकाण्ड – जब जीव की मैत्री राम से हो जाती है तो वह सुन्दर हो जाता है ।इस काण्ड मेँ हनुमान को सीता के दर्शन होते है।

सीताजी पराभक्ति है , जिसका जीवन सुन्दर होता है उसे ही पराभक्ति के दर्शन होते है ।संसार समुद्र पार करने वाले को पराभक्ति सीता के दर्शन होते है।

ब्रह्मचर्य एवं रामनाम का आश्रय लेने वाला संसार सागर को पार करता है ।संसार सागर को पार करते समय मार्ग मेँ सुरसा बाधा डालने आ जाती है , अच्छे रस ही सुरसा है , नये नये रस की वासना रखने वाली जीभ ही सुरसा है।

संसार सागर पार करने की कामना रखने वाले को जीभ को वश मे रखना होगा। जहाँ पराभक्ति सीता है,वहाँ शोक नही रहता , जहाँ सीता है वहाँ अशोकवन है।

6. लंकाकाण्ड – जीवन भक्तिपूर्ण होने पर राक्षसो का संहार होता है काम क्रोधादि ही राक्षस हैँ। जो इन्हेँ मार सकता है ,वही काल को भी मार सकता है।

जिसे काम मारता है उसे काल भी मारता है , लंका शब्द के अक्षरो को इधर उधर करने पर होगा कालं। काल सभी को मारता है किन्तु हनुमान जी काल को भी मार देते हैँ। क्योँकि वे ब्रह्मचर्य का पालन करते हैँ,पराभक्ति का दर्शन करते है।

7. उत्तरकाण्ड – इस काण्ड मेँ काकभुसुण्डि एवं गरुड संवाद को बार बार पढना चाहिए । इसमेँ सब कुछ है ।जब तक राक्षस , काल का विनाश नहीँ होगा तब तक उत्तरकाण्ड मे प्रवेश नही मिलेगा ।इसमेँ भक्ति की कथा है। भक्त कौन है ? 

जो भगवान से एक क्षण भी अलग नही हो सकता वही भक्त है। पूर्वार्ध मे जो काम रुपी रावण को मारता है। उसी का उत्तरकाण्ड सुन्दर बनता है ,वृद्धावस्था मे राज्य करता है।

जब जीवन के पूर्वार्ध मे युवावस्था मे काम को मारने का प्रयत्न होगा तभी उत्तरार्ध – उत्तरकाण्ड सुधर पायेगा । अतः जीवन को सुधारने का प्रयत्न युवावस्था से ही करना चाहिए।

मंगलवार, 21 जनवरी 2020

2 पर्यावरण

हाव चै सबूकें शुद्ध
पेड़ नै क्वै लगू रई
अनजान मे सब रोगों के 
दगाड़ आपू बलू रई

हरियाली फैलै बे ओल 
अब हम सबूकें स्वस्थ बनूल
संदेश सब जाग फैलोल
आपन पर्यावरण बचूल




जैकै कूनी पृथ्वीक आवरण 
उ छ हमर पर्यावरण
प्रदूषण बन गो पर्यावरण क
चिंता क कारण

य प्रदूषण यसि बढें रो 
जैक न्हैति क्वै माप
दैखों कसी माठू माठ
बनै रो अभिशाप

हरियाली खत्म ह्वैगै
धधकैरै सूरजैक ज्वाला
दिनोंदिन बढणि प्रदूषण
औजोन परत कै बनू रो निवाला



प्रकृतिक रक्षा करो
प्रदूषण रोक बैर
वृक्षारोपण करबैर
प्रदूषण पर करो वार
प्रकृतिक करो सम्मान
पर्यावरण क स्वच्छताक ले धरिया ध्यान

यैक रक्षा हैतु तुम चलावों
प्रदूषण मुक्ति अभियान




 पर्यावरण पर भारि प्रदूषण 
राक्षसों क राज खरदूषण

आऔ य संकल्प उठूल
आपण पर्यावरण बचूल

हर दिन एक नई वृक्ष लगूल 
आपन आपन जीवन बचूल




बानों बान य धरा क ऑचव
जैक नील अगास
पहाडों जस उच कपाव
वि पर सूर्ज चन्द्रमा जस बिंदियूक ताज
गध्यार छीण जास छल छल छलकनी यौवन
सतरंगी पेड पौधोंक स्यूनि सिंगार
खेत खलिहानों मे लहलहाणि मंद मंद मुस्कान
*हौई यई त छ य प्रकृतिक स्वच्छ स्वरुप*

*रचनाकार परिचय*
नाम-देवेन्द्र सती(मस्त पहाडीं)
बौज्यू-स्व•श्री चन्द्रादत सती
ईजा-हेमा देवी
जन्मस्थान-गौ-पाखुडा़(पपनैपुरी)
पोस्ट-उपराडीं
राणिखेत उत्तराखण्ड
फोन-9411300850
ई मेल -Devendrasati2@gmai.com
शैक्षिक योग्यता-10 वी पास
शौक -कुमाऊनी मे कविता लेखणक