[26/12, 8:52 PM] Dev Sati: प्रस्तुत छ कुमाऊनी कविता
*काबें*
मै भारतक नागरिक छु
मिके़ लड्डू द्विये हाथ चै
बिजूलि में बचूल ना
बिल मिकें माफ चै
पेड़ में लगूल ना
मौसम मिके साफ चै
शिकैत मे करूल ना
कारवाई जल्दी चै
बिन लिई दिये के काम नि करु
पर भ्रष्टाचार क अंत चै
घरों भ्यार दलदर खैडूल
गौ बाखई साफ चै
काम करुल ना महैणम दस दिन
मजूरी दस हजार चै
लोंन मिलो बिल्कुल सस्त
बचत पर ब्याज बढी चै
जाति क नाम पर वोट दिबैर
अपराध मुक्त राज्य चै
खैती बाडीं करुल ना
प्याज रुपै किलों चै
कविता-देवेन्द्र सती(मस्त पहाडीं)पपनैपुरी
Dev Sati: https://youtu.be/SHYjieeme9c
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