भूलीबैर नी भूलीन आमा तुमरि याद
क्यै नी हैरोय जसै आई यकिन नी उन
तुमार उ भाल सीख ले आइ याद उनी
आखों मे आंसू ले दगडें उनी
बिछणनी वाल लोटि उनी एक दिन
य सोचि बैर हम सब इंतजार करुल
अब त बस तुमरि यादों क सहार छु
आमा कामकाजों के पछ्याण दी तुमुल
य सब लफ्जों मे बया करण मुश्किल छ
तुमरी भल सीख तुमरि रुपैकि पछ्याण छु
तुमार यु मांगल गीत कामकाजोंक शान छु
आब होइ होइ जा नी लागन
ना दिवाई दिवाई जा लागी
तुमरि कमी क हर कामों मे एहसास हूँ
बूढ़ा दगैं बूढ़ नना देगे नान
हर बात के आपूं हिसाबल समझूणक ढंग
म्यर समझण मे नी उ रय
जतू लेखों उतू कम
ओ अमा शत शत नमन
फूलों सा चेहरा गीत मे नाच बैर कर गछा रनमन
पर भूलिबैर नी भूलीयलि तुमरि याद
हर भाल नाक कामकाटों मे तुमरि कमी सबूके खलेलि
माथें अमा की प्रथम पुण्य तिथि पर सादर समर्पित कविता
देव सती पहाड़ी बटोही