सोमवार, 16 जनवरी 2023

सफर लम्ब हुं, जिंदगी छोटि हुं।
आ्ब इदू सफर में कदुक पहाड़ में रूं।
उ कुड़ि अब कसि आबाद हुं।
क्वे भै बैड़ी रूनी वा, क्वे का्क काकी रूनी वां।
कदुक निकल गी, कदुक निकलनेक त्यारी में बैठ री वां।
जिंदगिक शौक और जिंदगी बितुनेक में भौत अंतर आजा।
जिंदगी शौक तुमन क एक जाग् बैठ बेर न मिलन,
जिंदगी जाग् जाग् भटक बेर न बिताई जा्न।
आ्ब आपुण बिरादरी में ज नाम रखनू,
यां फिर आपुण नाम पहाङ में राखनू।
आ्ब के लै जान्हा त आपुण पहाड ढूणना,
क्वे सफर में ल छा जब जा्ण पहछान ढूणना।
आ्ब घर में इज हौश में ला्ग रै कि च्यल घर ऊणौ,
कदुक दिन में वापिस आ जालै नौकरी बै फोन ऊणै।
आ्ब का्क ज रूनू, ये बात भौतै परेशान करनै,
मैंकैं आपुण पहाड़क याद ऊणै।
🌼🍁💜

गुण निधि जोशी जी के फेसबुक वॉल से

आलूक थेच्छय़ू प्याजक पुड़पूड़ी
काकड़क रेत मूअक साग
मुंगेकि मुंगोड़ी माशेकि बड़ी
कावपट्ट चुणकाणी लसपस भात
इज खोची खोची खवे दिछि
जिबड़ीक म्यरा बड़ मिजाज
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

जोश्ज्यूका का काकड़ लझोड़
बिस्टज्यू को आड़ूक बाग
पन्त्ज्यू का पूलम नि छोड़
नेगिज्यूका खेतम पड़य़ू उजाड़
दिन भर म्यरा रोंते में कटी जाछि
भोते भल छि हो म्यरा ठाटबाट
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

भीजी शिसूण हाथम दंड
महेश मास्सेप भोते खतरनाक
चुलगम मेल चिपकाय कुर्सी में
चप से चिपक गयी मास्साप
सब नान्तिनुले दोड़ लगे दे
भूभी कूटिगो घुस्स लात
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

घटेकी घर घर द्यारे कि सर सर
पल भाखेयी कुकुरोक टीटाट
शिटोवे कि चू चू बिरावे कि म्यू म्यू
पार तली गाड़क सरसराट
डरक मारी हगभराछी
ब्याव पड़ी सुण बागक घुरघुराट
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

ओ रुपली शौज्यूकी चेली
दिन रात रिटछ्यू त्यर आसपास
नि के सकियू आपुणे मनेकी
तुगे देख म्यर लकलकाट
खुबे नाँचीयूँ द्वी ढक्कन पिबेर
जब मोहनदा लायीं त्यार घर बरात
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद

कां रेगो गौं कां रेगे गाड़
कां रेगो काफल कां तिमिल्क पात
कां रेगे रुपली कां ऊक फरफराट
कां रेगेंयी दगड़ू कां उनर बोयाट
रात अधरात क्याप जस लागों
गाव् भरी जां, आँख भिज जानि
जब ऊँछी गौंकी परदेश में याद
अपुणे गौं गाड़ेकी बात, परदेश में ऊनी याद।

शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

तीन दोस्त

🤝🏻तीन दोस्त अमेरिका में होटल में ठहरे (75 Floor) मंजिल में कमरा मिला। 

रात बारह बजे लिफ्ट खराब होकर बंद हो जाती हैं,

 सीढ़ियाँ चढ़ते बोरियत दूर करने के लिए एक ने एक लतीफा सुनाया और पच्चीसवीं मंजिल तक आ गए।

 दूसरे ने गाना सुनाया और अब वे पचासवीं मंजिल तक आ गए। 

और तीसरे ने बीमारी सेहत पर किस्सा सुनाया और अब पचत्तरवीं मंजिल पर आ गए।

 कमरे के दरवाज़े पर पहुँच कर याद आया कमरे की चाबी तो Reception पर भूल आए हैं तीनों बेहोश होकर गिर पड़े।

*सबक*

इंसान अपनी ज़िन्दगी के पच्चीस साल खेल कूद, हँसी मज़ाक और फज़ूलियत में ज़ाया कर देता है।

 अगले पच्चीस साल नौकरी, काम धंधे, शादी, बच्चों और उनकी शादी में गुज़ार देता है।

और 

अब पच्चीस साल अगर ज़िन्दा रहे बीमारी, डॉक्टर, और हॉस्पिटल में चले जाते हैं,

मर गए तब पता चलता है कि परमात्मा के दर की चाबी तो लाएँ ही नहीं हैं, वो तो दुनिया में ही रह गईं है।

*सुमिरन एंव नेक कर्म* 
परमात्मा  के दर की चाबी है।

 आएँ मानवता हित मे कुछ अच्छा करें हम, आओ रोज सुमिरन करें हम

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