एक दिन घरवाई कूण बैठी -
दिगौ तुम देखीण चाण बान हुना ,
लम्ब चौड पोठ्ठी पबलवान हुना |
नौकरी हुनि सरकारि , खूब हुन कैश ,
तुम कमैबेर लूना , मी करन्यू ऐश |
हल्द्वाणि मे मकान फोरह्वीलर गाडि हुनि ,
टमाटर जास गलाड उमे झक्क दाडि हुनि |
पर कि करूं ......
ख्याड पडन म्यार सोल सोमवार ,
एक्कै दुल्हौ मिलौ उ ले बेरोजगार |
..... ....... ........ .......
मैलि कौ -
बात तो तू सोल आ्न सही कैगेछी ,
तदुक चीज जै मेर पास हुनी तो फिर मेर लिजी त्वी रैगेछी ?
मेके खूब दैज मिलन भाल रिश्त उन ,
सौरास बटी पिठ्याक ठुल किश्त उन |
काकडि फुल्यूड जसि स्यैणि गोरि फनार हुनि ,
उ ले मास्टर्याणि हुनि खूब होशियार हुनि |
उ जपान और छी , बरनक अकाव छी ,
तब मेर जासनक ले एक लाख क भाव छी |
हमार आजकला लौडनाक जास हाल नि छी ,
हमार लिजी चेलिनक अकाल नि छी |
सरकारि नौकरी हल्द्वाणि मकान के भांग फुला |
फ्री फकोट मे जस मिलि रयूं उसलि काम चला ||
#विनोद_पन्त_खन्तोली