गुरुवार, 13 मार्च 2025

फूलदेई

आज पूछ बैठी मिहूं
 क्यें छ य फूलदेई?
मैं बोल्यूं  पुरखों क विरासत छ
पहाड़ी लोकपर्व- फूलदेई

मैं न्हैं  थी हैरान, सुदूर प्रान्त क दगड़ी छी पर
उ क्यैं  जाणूं  - फूलदेई
पर, गहन छी पीड़
पहाड़ी नान ले नी जाणन  फूलदेई

रंग-रँगील फूल चुनबैर
उमड़-घुमड़ गीत गाछि
सबूकें  मंगलकामनाएँ 
गुंजन-भरी स्वर 
फूलदेई फूलदेई गुनगुनाछी

फूलदेई केवल रै ग्यों
वट्टसप्प -स्टेटस सिंबल
ज्यूनैं  निगई  गो - फूलदेई
आणि पीढ़ी अंजान हैरान,
परेशान छ शर्मिंदा छ- फूलदेई
उत्तराखण्ड संस्कृति के भूल बैर,
अब गुड मॉर्निंग छ फूलदेई

फूल हराय  बचपन हराय,
बस मूबैलों मे जिन्द छ - फूलदेई
नान छना कतु भल छी, खेल-कूद-पढ़ाई दगड़ दगड़
खेलछी फूलदेई 
आशीष, संस्कार,
मंदिरों  क  घंटी ज पवित्र- फूलदेई त्यार
हे सकों  त ताज कर द् यों फूल म  पानी छिटमारबैर 
आई ले बासी न्हैं ती - फूलदेई 