ठौर
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पाथर वाला घर
उसमें दो छोटे छोटे कमरे
एक कमरे के एक कोने में चुलान
दूसरे कोने में देवता की थाई
दूसरे कमरे के एक कोने में
गेहूँ, मड़वा पीसने की चक्की
असोज में
एक कोने में मड़वा, मादरा
चार भाई बहिन, ईजा, आमा
साल में दो महीने की छुट्टी आते
फौजी पापा
एक बिल्ली और उसके बच्चें
नीचे गौठ में गौठ भर जानवर
आते जाते पोन-पाछी
बारिश में टप्प टप्प करती छत
खाना बनाते हुए होलपट्ट
फिर भी असज नहीं हुआ कभी
मन और रिश्ते बड़े थे और दिखावा छोटा
तो ठौर हो ही जाती थी।
शब्दार्थ:
चुलान - रसोई
थाई- घर के अंदर बना छोटा मंदिर
गौठ - पालतू जानवर बांधने का कमरा
पोन-पाछी - रिश्तेदार
होलपट्ट - धुंवा धुंवा
असज - परेशानी
ठौर - जगह
© राजू पाण्डेय
ग्राम - पो. बगोटी (चम्पावत)
यमुनाविहार - दिल्ली