गुरुवार, 23 जून 2022

जय मा धारी

#मां_धारी_देवी_मंदिर_की_दंत_कथा 

कहते हैं कि #धारी_देवी सात भाइयों की इकलौती #बहन थी, बचपन में ही माता पिता के देहांत के बाद #सातों_भाइयों ने #धारी_देवी की देखरेख की, वह भी अपने भाइयों की खूब सेवा करती थी तभी भाइयों को पता चला कि उनकी बहन के #ग्रह भाइयों के लिए खराब हैं तो वे बहन से नफ़रत करने लगे, जब वह कन्या तेरह साल की थी तो उसके पांच भाइयों की मृत्यु हो गई, बचे हुए दो भाइयों को लगा कि इसी बहन के ग्रहों के कारण भाइयों की मृत्यु हो गई है, फिर उन्होंने रात्रि के समय में कन्या की हत्या कर दी और उसका #सिर_धड़ से अलग कर दिया, #सिर और #धड़ को #गंगा में बहा दिया, कन्या का सिर बहते हुए दूर #धारी_गांव में पहुंच गया, प्रातः काल में नदी किनारे एक व्यक्ति कपड़े धो रहा था उसे लगा कि एक कन्या डूब रही है बचाने का प्रयास किया परंतु पानी बहुत था इसलिए पीछे हटा तभी उस सिर में से आवाज आई कि डर मत मुझे बचा, तू जहां जहां पैर रखेगा वहां पर सीढ़ियां बनती जायेंगी! उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया और सीढ़ियां बनती गई! 
जैसे ही उसने कन्या समझकर सिर को उठाया तो #कटा_सिर देखकर घबरा गया फिर सिर पर से आवाज आई कि मैं देवी रूप में हूं! तू मुझे किसी पवित्र स्थान पर #पत्थर_के_ऊपर_स्थापित कर दे, व्यक्ति ने वैसा ही किया, तब देवी ने उसे सारी बात बताई और पत्थर में परिवर्तित हो गई! कन्या के शरीर का बाकी हिस्सा #मठियाणाखाल में है जहां #मैठाणा_मां के रूप में सुप्रसिद्ध है!!
#धारी_देवी_मंदिर #उत्तराखंड के #पौड़ी_गढ़वाल में स्थित है मां धारी को #उत्तराखंड_की_रक्षक भी कहा जाता है!!
मां की कृपा संपूर्ण जगत पर सदैव बनी रहे!!🙏
खूबसूरत दर्शन #मा_धारी_देवी मंदिर के!!
🙏🙏🌹जय♥️मां♥️धारी♥️देवी🌹🙏🙏

रविवार, 5 जून 2022

२ जून

💐दो जून की रोटी 💐
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मैंने वनीकरण में 
गमले सारे ,पेड़ लगाए ।
बगीचों में नौकरी की 
ह्वा चड़ी ह्वा तोते भगाए ।
रोड़ी फोड़ी ,रेता निकाली 
ज्यों ही अकल आई 
जे आर वाइ में हाजिरी लगाई ।
मैंने फेरी जो नहीं लगाई 
लीसा जो नहीं लगाया 
मैंने दो साल घोड़ा भी चलाया 
ठुलबौज्यू ग्राम प्रधान बने तो 
मुझको मुंशी भी बनाया ।
हाइस्कूल में  फेल हुवा तो 
भागकर शहर आया 
होटल में भाँड़े  खकोले 
रिक्सा भी चलाया ।
क्लीनरी भी की 
ड्राइवरी भी सीखी ।
साब के यहाँ नौकरी भी की 
मेमसाब की चाकरी भी की ।
मंडी में पल्ले दारी भी की 
 अपना खोखा भी खोला 
पीलिया निमोनिया मलेरिया 
 मैंने क्या क्या नहीं झेला ।
पुलिस की लाठियां भी खाई 
मालिकों की गालियाँ भी खाई ।
कभी स्टेशन में ही सोया 
घर की याद आई तो खूब रोया ।
 हल्द्वानी,गुड़गाँव, गाजियाबाद 
कभी दिल्ली तो कभी फरीदाबाद  
मैं बदलता रहा अपना ठिया 
इस दो जून की रोटी के लिये 
 मैंने क्या क्या नही किया ॥
************************
🌺शंकर दत्त जोशी 🌺
💐💐💐💐💐💐💐