शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

कलश

*कलश से पूछा गया कि तुमने ऐसा क्या पुण्य किया है कि सबके सिर पर विराजते हो ?*

*उसने कहा कि मिट्टी के रूप में था तब पैरों में गूंथा गया, बनने के बाद धूप में तपा, फिर अग्नि में जलाया गया, इतनी साधना और अपमान के बाद तुम्हारे सिर पर आया हूं ।*
*जीवन में साधना और अपमान को विष न मानकर इसको अपने सम्मान का अमृत बना लेना चाहिए।*
*भगवान का कोई आकार नहीं*

किसने कहा, भगवान् साकार नहीं है ? 
सभी आकार उसी के है। 

भगवान् का कोई आकार नहीं है। 
तुम  भगवान् का आकार खोज रहे हो, 
इसलिए सवाल उठता है 
कि भगवान् साकार क्यों नही। 
🌺🏵️
वृक्ष में भगवान् वृक्ष है. 
पक्षी में पक्षी है, 
झरने मे झरना है , 
आदमी में आदमी है, 
पत्थर में पत्थर है,
 फूल में फूल है। 

तुम भगवान् का आकार खोज रहे हो, तो चूकते चले जाओगे।   

सभी आकार जिसके हैं, उसका अपना कोई आकार नहीं हो सकता। 
अब यह बड़े मजे की बात है। 

इसका अर्थ हुआ कि सभी आकार जिसके है वह निराकार! 

सभी नाम जिसके है उसका अपना नाम कैसे होगा ? 
जिसका अपना नाम है उसके सभी नाम कैसे हो सकते।  सभी रुपों से जो झलका है उसका अपना रुप नहीं हो सकता। 
जो सब जगह है उसे एक जगह खोजने की कोशिश करोगे तो चूक जाओगे। 
सब जगह होने का एक हीं ढंग है 
कि वह कहीं भी न हो। अगर कहीं होगा तो सब जगह न हो सकेगा। 
कहीं होने का अर्थ है : सीमा होगी।  सब जगह होने का अर्थ  है : कोई सीमा न होगी। 

तो परमात्मा कोई व्यक्ति नहीं है। 
"परमात्मा सभी के भीतर बहती जीवन की धार है"। 

वृक्ष में हरे रंग की धार है- जीवन की! 
वृक्ष आकाश की तरफ उठ रहा है - 
वह उठान परमात्मा है।
वृक्ष छिपे हुए बीज से प्रगट है रहा है - 
वह प्रगट होना परमात्मा है। 
परमात्मा किसी जैसा नहीं, 
क्योंकि फिर सीमा आ गई। 

अगर परमात्मा पुरुष जैसा हो, 
तो फिर स्त्री मे कौन होगा ? 
स्त्री जैसा हो तो पुरुष वंचित रह जाएगा। 
मनुष्य जैसा हो तो पशुओं मे कौन होगा ? 
और पशुओं जैसा हो तो पौधों में कौन होगा ? 
इसे समझने की कोशिश करो। 
परमात्मा जीवन का विशाल सागर है। 
हम सब उसके रुप हैं, तरंगें हैं। 
हजारों ढंगो में वह मौजूद है। 
कितना हीं प्रगट होता चला जाए, 
अनंत रुप से प्रगट होने को शेष है। 
परमात्मा अस्तित्व का नाम है। 
इसलिए तो उपनिषद कहते हैं, 
उस पूर्ण से हम पूर्ण को भी निकाल लें तो पिछे पूर्ण हीं शेष रहता है.... 
🌹🌹👁🙏👁🌹🌹
  ‼ *आपका दिन शुभ हो*

बुधवार, 27 जनवरी 2021

ईजा भक्ति

Nice poem : Author Unknown :

 ईजा भक्ति में कुछ पंक्तियाँ... 

पहाडूँ की देवीक रूप छू ईजा,
गर्मी में छाया जाड़ान में धूप छू  ईजा 
ईजा छू तो उज्याव छू अन्यार में,
ईजा छू तो हँसी छू परिवार में।।

ईजा छू त झोई भात छू,
ईजा छू त चुड़कानि में स्वाद छू,
ईजा छू त बुराँस में रंग छू,
ईजा छू तो त्यार वारन में उमंग छू।। 🙏🏻🙏🏻

ईजा छू तो हर दु:ख दूर छू,
ईजा घरैकि छत व धूर छू,
ईजा गंगोत्री छू,ईजा यमुनोत्री छू,
ईजा सबैनकै एक राखिनी छत्री छू।। 🙏🏻🙏🏻

ईजा यमुना छु,ईजा गंगा की धार छू,
सच जब तक ईजा छू तब तक परिवार छू,
ईजा सत्यनारायणज्यू की काथ छू,
ईजा छू तो दूर हर व्यथा छू।। 🙏🏻🙏🏻

बँजानी धुराको धारा छू ईजा,
चाँद,सूरज,ध्रुबतारा छू ईजा,
ईजा छू तो म्यार  बाट साफ छू,
ईजा छू त मेरि हर गल्ती माफ छू।। 🙏🏻🙏🏻

ईजा तपस्या छू,ईजा भक्ति छू,
सच ईजाक आशीश में भौतै शक्ति छू,
ईजा तूँ छै त खेतों में हरियाली छू,
ईजा तू छै तो साल भर धिनाली छू।। 🙏🏻🙏🏻

घरौक श्रिंगार तू छै ईजा,
खुशी की बहार तू छै ईजा,
ईजा तू छै त काँणा ले फूल छन,
ईजा तू छै तो ढूँगा ले धूल छन।। 🙏🏻🙏🏻

तेरी उमर लम्बी है जा ईजा,
तेरा हाथ म्यार ख्वार  में रौ ईजा,
ईजा तू छै तो खेतन में हरियाली छू,
ईजा तू छै तो साल भर धिनाली छू।।

सादर ||

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

गौ गौ पहाड़

कविता देव सती

गौ गौ पहाड पलायन हैगौ

मंखी सब शहर न्हैगौ

गौ अब विरान हैगौ

किसान सब बर्बाद हैगौ

सुअर बानर खेतम ऐगौ

खेत सब बाज पड गई

यस हमर पहाड हैगौ

लोगौक बुलाण नी सुणिन

नानतीनाक टिटाट नी सुणीन

पहाड हमर बिरान हैगौ

कस य पहाड छी

कस य पहाड हैगौ