गुरुवार, 31 जनवरी 2019

52_कस छ य टैम

------*कस छ य टैम*-----

किलै दगाड़ मे रे बे दूर रुण चाछै

किलैकी तू त हर बखत याद ऊछै

तू त चुप रै बे ले क्यै कुण चाछै

लेकिन समझ नी आय तुमार मन मे क्ये छु

क्यै कैबे य गिच चुप रुण चा

मगर य मन चुप रुण नी चा

क्यै बात सुण बै य मन खुशी हुरों

मगर तुमार दिल क य दर्द महसूस नी हुरों

किलै दगाड़ मे रे बे दूर रुण चाछै

पैली त तू य बता म्यर मनक करीब किलै आछै

किलै तू म्यर दिल क धड़कन रोकन चाछै

किलै अगॉव(गले लगाना) लगे बे अलविदा कुण चाछै

किलै इंतजार करैबै इंकार करण चाछै

किलै दगाड़ मे रे बे दूर रुण चाछै

बदय्ल ल्यों आपुण मन क भैम

मित्रों हमूहु मिलुहू ले निकालों कुछ टैम

धन्यवाद

कविता- देवेन्द्र सती
पपनैपुरी(पाखुडा़)

सोमवार, 28 जनवरी 2019

22_छब्बीस (२६ जनवरी)

🇮🇳2⃣6⃣ जनवरी(गणतन्त्र दिवस)

🇮🇳ऐ म्यर भारतीय बन्धु
ना हिन्दू बन ना मुसलमान

नी बन तू भ्रष्टाचार क गुलाम
🇮🇳बस तू बन एक भल इन्सान

यस क्वै कर करम
नी ओ तुकै क्वै शरम
इतु सुन्दर जीवन दिरो
हमूकें य अंग्रेज़ी फैशनल अंध कर हेलो

🇮🇳हमूले य जोश भरी जवानीक के क्ये समझों

य आजादी क क्यै मोल समझों

🇮🇳भारत मॉ तुकै सलाम
तिरंगा छु हमरि शान

भारत मॉक दुलार
हिन्दू मुस्लिम ने करो मारमार

🇮🇳भारत मॉ प्यार के नी बना इतु गैर
विक लिजी सब एक समान

सब मिलबै रवों यमई छ भारते शान
🇮🇳कै हिन्दू के मुसलमान
कै सिक्ख के ईसाई
हम सब छु भाई भाई

कतु बलिदान कतु कुरबानी

🇮🇳भारत मॉ शान आई कैले नी जाणी

🇮🇳गणतंत्र दिवस क भौत भौत हार्दिक शुभकामनॉओ सहित🇮🇳

कविता- देव सती
पपनैपुरी बटि

11_म्येरि पछ्याण

मै क्वै लेखक ना छु कवि
चौबटियक थोड तलि पपनैपुरी छ म्येरी छवि
पहाडों मे रै बे ले आदत छु भोली
सीध साध पहनावा पहाड़ी छ म्येरि बोली

नौला धराक पाणि काबै पिनू
मडुवाक र् वाट काबटि खानू

हिसाऊ काफोव खेबै मिलछी नई ऊर्जा

देशीफल इनार सामणि जछि मुर्झा

गुल्ली डंड अडडू सिमंनटाई म्यर मनपसंद खेल हूछी
इमें राजनीति फिक्सिंग क डरक ना मैल हूछी

पैली बै आओ भैटो कुछी
आब वटसप व फैसबुकि गी

गोरु भैस बाकर म्यार मिके सबुहै प्यार हूछी

सीढ़ीनुमा खेत सब जगा बै न्यार हूछी

आब एक से एक कुकुर बिराव माछ पाई हैली

सीढीनुमा खेतों मे जे सी बी चली गी

ईष्ट ऐडी भूमी सैम हरज्यू क हमार पुज्य हूछी

जनरि बभूत फुक्क मारि सब दुख दूर हूछी

पहाड़ हमर स्वर्ग छी
ठण्डी हाव पाणि हूछी

सीध साध मिठ्ठ वाणी हमरि पछ्याण हुछी

आई ले तैतीस कोटि करोड़ देवी  द् याप्त जैक करनी खण्ड खण्ड

करनू आपणि मातृभूमि जय जय पहाड़
जय देवभूमि जय उत्तराखंड

कविता देव सती
चौबटियक थोड़ तलि बटि